Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक प्रेग्नेंट महिला के मामले में एम्स को निर्देश जारी किए हैं। महिला ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए गर्भ गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। महिला 25 सप्ताह की गर्भवती है और वह हाल ही में दुबई से आई है। उसने अपनी वित्तीय परिस्थितियों का हवाला न्यायालय में दिया है। जिसके बाद 25 सप्ताह के भ्रूण की शारीरिक स्थिति का आकलन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को निर्देश दिए हैं।
मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश खंडपीठ ने की। न्यायालय ने एम्स से कहा है कि वह मेडिकल रिपोर्ट को 27 मई तक सौंप दे। महिला ने दावा किया है कि उसे अपने गर्भवती होने का पता 17 मई को लगा है। महिला के वकील ने कहा है कि वह फिलहाल दिल्ली के एक होटल में ठहरी हुई है। जो हाल ही में दुबई से लौटी है। वह आर्थिक रूप से बच्चा अफोर्ड करने की स्थिति में नहीं है। जिसके बाद न्यायालय ने आदेश जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए सोमवार का दिन निर्धारित किया गया है।
मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत के अनुसार 24 सप्ताह से अधिक हो चुके भ्रूण को गिराया नहीं जा सकता। गर्भपात के लिए मेडिकल बोर्ड अनुशंसा करता है। जिसके बाद पीड़िता की स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया जाता है कि गर्भपात करना है या नहीं। अगर किसी कारणवश महिला के स्वास्थ्य को खतरा है, तो भी मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर कोर्ट फैसला करती है। पहले भी सुप्रीम कोर्ट में ऐसे मामलों पर सुनवाई हो चुकी है।