संजीव त्रिवेदी, दिल्ली : दुनिया के सबसे प्रभावशाली देश अमेरिका और भारत के बीच के रिश्तों को नया आयाम मिलने वाला है। भारत के प्रधानमंत्री जब 22 जून को अमेरिका में संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे तो वे ऐसा करने वाले दुनिया के पांचवे व्यक्ति होंगे। मतलब ये कि अबतक सिर्फ चार राष्ट्राध्यक्षों या प्रधानमंत्रियों को ये सम्मान हासिल हुआ है कि वे दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र की संसद को अपने कार्यकाल में दो बार संबोधित करें। साल 2016 के बाद दूसरी बार जब 22 जून को प्रधानमंत्री ऐसा करेंगे तो ये सम्मान हासिल करने वाले वे भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे।
साफ्ट पावर से शुरुआत
मंगलवार से शुरु हुई इस यात्रा को दो हिस्सों में बांट कर देखना ठीक रहेगा। न्यू यार्क स्थित संयुक्त राष्ठ्र मुख्यालय में 21 जून को नवें विश्व योग दिवस का प्रधानमंत्री की मौजूदगी में आयोजन भारत की ‘साफ्ट पावर’ की मुहर की तरह होगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी का उत्सुकता से भरा ट्वीट कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के साथ संयुक्त राष्ट्र हेडक्वार्टर के प्रांगण में योग दिवस में भाग लेने का इंतजार है, दरअसल दुनिया में भारत की बढ़ती रसूख की पहचान है।
इस बार प्रधानमंत्री हैं स्टेट गेस्ट
वाशिंगटन की धरती इस यात्रा से भारत को हासिल महत्व के दूसरे हिस्से की गवाह बनेगी। प्रधानमंत्री इससे पहले 7 बार अमेरिका जा चुके हैं लेकिन इस बार की यात्रा अलग है क्योंकि ये राजकीय यात्रा है। मतलब समझाते हुए यात्रा से पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि इस बार प्रधानमंत्री अमेरिकी गणराज्य के स्टेट गेस्ट हैं और इस नाते व्हाइट हाउस के ब्लेयर हाउस में ठहरेंगे और व्हाइट हाउस लान में हीं उनके सम्मान में स्टेट डिनर का भी आयोजन किया जाएगा। इस डिनर में शामिल होने के लिए जिस तरह की उत्सुकता लोगों में है उसकी गवाही खुद राष्ट्रपति बाइडेन ने हिरोशिमा में पिछले दिनो प्रधानमंत्री मोदी से हुई मुलकात में उन्हें बताया था। बाइडेन ने कहा था कि निमंत्रण पत्र पाने की जबरदस्त होड़ है और ऐसी होड़ किसी और नेता के लिए उन्होंने कभी नहीं देखी।
लेकिन इससे बड़ी बात ये है कि बाइडेन ने अबतक अपने कार्यकाल में मात्र दो राष्ट्राद्यक्षों को ही स्टेट गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया है। प्रधानमंत्री मोदी बाइडेन के तीसरे स्टेट गेस्ट हैं । बाइडेन कितने उत्सुक हैं इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि 22 तारीख को साउथ लान में स्टेट डिनर से पहले 21 की शाम को भी उन्होंने ‘प्राइवेट ट्राइम’ के तहत भारतीय प्रधानमंत्री के लिए एक डिनर आयोजित किया है जिसमें उनका परिवार और उनके मेहमान होंगे । इसके अलावा यात्रा के दौरान दो और ऐसे मौके होंगे जब बाइडेन और मोदी साथ-साथ होंगे। मतलब कुल चार बार बाइडेन और मोदी एक दूसरे के साथ होंगे और जानकार मानते हैं ये भारत को दिए जा रहे विशेष अहमियत की पहचान है ।
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चीन को संदेश देंगे दोनो देश
यहां ये जानना शायद इसीलिए जरूरी हो जाता है कि आखिर भारत के प्रधानमंत्री को मिल रहा ये सम्मान उनके अपने व्यक्तित्व के अलावा और कौन-कौन सी वजहों को समेटे हुए हैं। अव्वल तो ये कि इंडो-पैसिपिक में चीन के दबदबे को काबू करने की गरज आज अमेरिका की प्राथमिक चिंता है और पार्टनर के तौर पर भारत इस चिंता को हल्का करने वाला एकमात्र देश। लिहाजा भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा ऐसे मौके पर हो रही है जब अमेरिका के विदेशमंत्री चीन की यात्रा पर हैं जहां उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी होनी है। इस वक्त वाशिंगटन में प्रधानमंत्री मोदी को स्टेट गेस्ट के रूप में स्वागत कर अमेरिका किसे कैसा संदेश दे रहा है, ये समझा जा सकता है।
समझौते कौन कौन से होंगे
आदान प्रदान के हिसाब से देखें तो इस यात्रा की प्रमुख उपलब्धी होगी अमेरिका की जेनेरल इलेक्ट्रिक और भारत की हिंदुस्तान एरोनौटिक लिमिटेड के बीच एफ 414 इंजिन भारत में बनाने की साझेदारी। अमेरिकी तकनीक वाले ये जेट इंजिन हमारे तेजस एमके2 फाइटर प्लेन के लिए बनाए जा रहे हैं। दूसरी उपलब्धी के रूप में अमेरिका से भारत द्वारा 31 प्रिडेटर ड्रोन को खरीदे जाने से भारत की सामरिक तैयारियों में आने वाली बढ़त के तौर पर देखा जा सकता है। सेमीकन्डक्टर के क्षेत्र के अलावा 5जी और 6जी की तकनीक में भारत को होने वाले फायदों से जुड़े समझौते के अलावा एचवनबी वीसा के मामले में राहत मिलने वाली है और इस राहत का भारतीयों को बेसब्री से इंतजार रहता है।
सबसे खास है भारतीय अमेरिकी वोटर
लेकिन इन सब बातों से इतर भारत और अमेरिका के इस भरत मिलाफ का एक एंगल या यूं कहें कि सबसे खास एंगल चुनावी है। अमेरिकी नेताओं द्वारा भारत को चुनावी अंदाज में देखने की परंपरा साल 2000 में शुरु हुई थी जब डेमोक्रेटिक पार्टी के बिल क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उनकी भारत यात्रा मील का पत्थर साबित हुई क्योंकि न केवल वे खुद भारत में काफी पापुलर साबित हुए बल्कि उन्होंने भारतीय मूल के अमेरिकियों को भी डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ मोड़ने में अच्छी खासी सफलता हासिल की। बाद में ओबामा और अब बाइडन ने डेमोक्रेटिक पार्टी और भारतीयों के बीच जो रिश्ता कायम किया है वो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की एक अहम पहचान बन गया है। अमेरिका में इस वक्त 50 लाख भारतीय अमेरिकी हैं जो वहां के चुनाव में बाकायदा वोट करते हैं। माना जाता है कि दो तिहाई से ज्यादा भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। अमेरिकी नागरिक होने के बावजूद इन्हें अपने भारतीय जड़ों का फक्र है। बाबी जिंदल, कमला हैरिस, तुलसी गबार्ड और निकी हैली ही नहीं बल्कि अब तो सैकड़ों भारतीय अमेरिकी वहां के चुनाव जीतकर कई राज्यों में बड़े पदों पर आसीन हैं। ज्यादातर भारतीय अमेरिकी लोगों के डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े होने के कारण ही दोबारा दावेदारी की इच्छा जता चुके बाइडेन भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को ज्यादा से ज्यादा यादगार बनाना चाहते हैं।
बीसवीं और इक्कीसवीं सदी में एक देश के रूप में अमेरिका की सफलता की कहानी में प्रमुख स्थान सिलिकान वैली का है और सिलिकान वैली में काम करने वाले कई विलक्षण भारतीयों ने भारत को जबरदस्त सम्मान दिलाया। वक्त बदला है और वैश्विक चुनौतियां भी। अमेरिका के लिए अब भारत अहम है और अगले तीन दिन प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका में मौजूदगी के दौरान बहुत साफ-साफ दिखेगी।
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