PM Narendra Modi Third Term: लोकसभा नतीजों के बाद से ही अब तक ये कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम मोदी का अंदाज इस बार बदल जाएगा। इस बार उनका कार्यकाल पिछले 2 कार्यकालों की तरह निडर और बेबाक फैसलों के लिए नहीं बल्कि एक मजबूर छवि वाली सरकार के तौर पर जाना जाएगा। शपथ से पहले तो सभी ये कयास लगा रहे थे कि इस बार सत्ता की कुंजी नीतीश-नायडू के पास होगी। लेकिन मंत्रिमंडल में पीएम मोदी ने किसी की भी नहीं चलने दी। सभी दावों और नाराजगी की खबरों को दरकिनार करते हुए उन्होंने वैसे ही सरकार गठन किया जैसा कि वो पिछले 2 कार्यकालों से करते आए हैं।
इसके बाद बारी आई स्पीकर पद की। स्पीकर पद को लेकर विपक्ष लगातार बयानबाजी कर रहा था। मांग ये की जा रही थी कि अगर सरकार डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को सौंपती हैं तो हम स्पीकर पद के लिए एनडीए उम्मीदवार को सर्वसम्मति से चुनेंगे। लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि डिप्टी स्पीकर पद पर भी सरकार का कब्जा होगा। हालांकि इस मामले में राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया कि विपक्ष पहले डिप्टी स्पीकर को लेकर फैसला लेना चाहता था जो कि हमें मंजूर नहीं था।
प्रोटेम स्पीकर और स्पीकर पर ऐसे किया चित्त
इससे पहले सांसदों की शपथ और जरूरी अर्हताएं पूरी करने के लिए प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति होती है। विपक्ष ने कहा कि वरिष्ठता के आधार पर प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति होती है। लेकिन मोदी सरकार ने किसी की नहीं सुनी और उड़ीसा से सातवीं बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर दिया। इतना ही नहीं ओम बिरला के स्पीकर चुने जाने के बाद उन्होंने अपने संबोधन में इमरजेंसी का जिक्र कर विपक्ष के संविधान बचाओ नारे की हवा निकाल दी। इस मुद्दे को छेड़कर बीजेपी ने इमरजेंसी के काले अध्याय को देश की जनता के सामने लाकर कांग्रेस के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया।
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सहयोगियों को दिया संदेश
मंत्रियों की शपथ के बाद विपक्ष इस बात को लेकर दबाव बना रहा था कि मोदी कैबिनेट में सिर-फुटव्वल होना तय है। लेकिन पीएम मोदी ने बड़े और अहम मंत्रालय न सिर्फ बीजेपी के पास रखे बल्कि बड़े मंत्रालय में सभी चेहरे वहीं थे जो पिछली सरकार में मंत्री थे। यानि कुल मिलाकर विपक्ष और सहयोगी दलों को पीएम मोदी ने संदेश दे दिया वे किसी के दबाव में नहीं बल्कि हमेशा की तरह फ्रंटफुट पर ही खेंलेंगे।
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