बीते दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में तीन में बहुमत से जीत हासिल करने वाली भाजपा अब यह तय करने में जुटी है कि इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री कौन होगा। पिछला पैटर्न बताता है कि जब मुख्यमंत्री चुनने की बात आती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई भाजपा ‘गोपनीयता’ और ‘आश्चर्य’ को साथ लेकर चलती है।
मुख्यमंत्री पद के दावेदारों का न दबाव काम करता है और न ताकत। नई भाजपा सही फैसले को ज्यादा महत्व दे रही है बजाय इसके कि फैसला लेने में समय कितना लग रहा है। कुल मिलाकर भाजपा के शीर्ष तीन नेता ही जानते हैं कि आखिरी पसंद कौन होगा। ये तीन नेता हैं नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा।
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चुनावों का परिणाम तीन दिसंबर को आया था। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को बेहतरीन जीत मिली थी। लेकिन इस बात पर सस्पेंस अभी भी बना हुआ है कि इन राज्यों में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा। तीनों ही राज्यों में दावेदारों के नाम पर लगातार अटकलें लग रही हैं लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
दरअसल ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। भाजपा पहले भी इसे लेकर चौंका चुकी है। माना जा रहा है कि इन तीन राज्यों में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल सकता है। पार्टी की नजर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी है जो इस फैसले का एक अहम कारक है। पढ़िए इससे पहले भाजपा ने सीएम के लिए कब-कब चौंकाया।
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यूपी में योगी आदित्यनाथ
साल 2017 में उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के बाद योगी आदित्यनाथ ने सोचा था कि उन्हें ब्रेक मिलेगा क्योंकि उन्हें एक संसदीय समिति के टूर के लिए विदेश यात्रा पर जाना था। बता दें कि चुनाव के दौरान उनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कहीं सुनाई नहीं दिया था और न ही उनकी तस्वीर ही किसी चुनावी पोस्टर पर देखने को मिली थी।
लेकिन पीएम मोदी के निर्देश पर विदेश मंत्रालय ने उन्हें बाहर जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके कुछ दिन बाद तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें दिल्ली बुलाया और बताया कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे। इसके बाद वह लखनऊ गए और उन्हें सीएम घोषित कर दिया गया था। इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया था।
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गुजरात में भूपेंद्र पटेल
साल 2021 में भूपेंद्र पटेल अहमदाबाद में अपनी विधानसभा में एक बैठक कर रहे थे और सड़क पर पौधरोपण कर रहे थे जब उनके पास एक फोन आया जिसमें उन्हें और सभी विधायकों को भाजपा कार्यालय बुलाया गया था। यहां वह आखिरी पंक्ति में बैठे थे जब गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर विजय रूपाणी की जगह उनका नाम लिया गया।