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700 करोड़ खर्च, 2.08KM लंबाई…जानें कितना खास है पम्बन ब्रिज, जिसका आज PM मोदी ने किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पम्बन ब्रिज का उद्घाटन कर दिया है। उन्होंने इस नए पुल से दौड़ने वाली ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने रामसेतु और पम्बन ब्रिज का हवाई नजारा भी देखा। आइए इस ब्रिज की खासियतें जानते हैं...

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Apr 6, 2025 13:13
Pamban Rail Bridge

पूरी दुनिया ने आज भारत और एशिया के पहले वर्टिकल लिफ्ट स्पैन रेलवे ब्रिज पम्बन की ऑफिशियल ओपनिंग देखी। आज 6 अप्रैल को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनवमी के अवसर पर अरब सागर पर बनी इंजीनियरिंग की अद्भुत संरचना का उद्घाटन किया। उन्होंने इस पुल पर दौड़ने वाली रामेश्वरम-तांबरम (चेन्नई) नई ट्रेन सेवा को हरी झंडी भी दिखाई।

 

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करीब 2.08 किमी लंबा ब्रिज रामेश्वरम (पम्बन द्वीप) को तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने ही नवंबर 2019 में इस ब्रिज की नींव रखी थी। इसे साल 2021 तक बनाया जाना था, लेकिन यह साल 2024 में पूरा हुआ। करीब 700 करोड़ की लागत से बने इस ब्रिज पर डबल ट्रैक और हाई-स्पीड ट्रेनों का ट्रायल हो चुका है। आइए इस ब्रिज के बारे में जानते हैं…

 

 

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पम्बन रेल ब्रिज की खासियतें

स्टेनलेस स्टील से बने इस ब्रिज पर पॉलीसिलोक्सेन की कोटिंग की गई है, जिस वजह से जंग और समुद्र के नमकीन पानी का इस पर असर नहीं पड़ेगा। 700 करोड़ में बने करीब 2 किलोमीटर लंबे पुल पर 100 स्पैन और 72.5 मीटर का वर्टिकल स्पैन है। यह स्पैन करीब 22 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता, ताकि समुद्री जहाज आसानी से आवाजाही कर सकें।

 

अगर समुद्र हवाओं की स्पीड 58 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हुई तो यह ब्रिज काम नहीं करेगा, बल्कि ऑटोमैटिक रेड सिग्नल देगा। इस दौरान ब्रिज से ट्रेनों की आवाजाही नहीं हो पाएगी। अक्टूबर से फरवरी के बीच ऐसा हो सकता है। इस ब्रिज से ट्रेन 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। नया ब्रिज ऑटोमेटेड वर्टिकल लिफ्ट सिस्टम से लैस है।

डबल ट्रैक और इलेक्ट्रिफाइड सिस्टम लगाया गया है। यह पुल अगले 100 साल तक ऐसा ही रह सकता है। 12 जुलाई 2024 को लाइट इंजन का ट्रायल रन इस पुल पर किया गया था। 4 अगस्त 2024 को टावर कार का ट्रायल रन किया गया। 31 जनवरी 2025 को रामेश्वरम एक्सप्रेस ट्रेन का ट्रायल रन किया गया। इसके बाद ही पुल के उद्धाटन को मंजूरी दी गई।

 

108 की सर्विस के बाद बंद हुआ पुराना पुल

बता दें कि पुराना पम्बन ब्रिज 1870 में डिजाइन हुआ और 1911 में इसका निर्माण शुरू हुआ। 24 फरवरी 1914 के इस पुल से ट्रेनों की आवाजाही शुरू हुई। यह पुल करीब 2.06 किलोमीटर लंबा है। 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इसे रेनोवेट कराया। साल 2013 में इसे इंडियन रेलवे ने यूनेस्को हेरिटेज स्टेट्स दिया।

साल 2014 में इस पुल ने 100वीं एनिवर्सरी मनाई, लेकिन जंग लगने के कारण 108 साल बाद दिसंबर 2022 में पुल को बंद कर दिया गया, क्योंकि हादसा होने का खतरा था। पुल बंद होने से रामेश्वम और मंडपम के बीच रेल कनेक्टिविटी खत्म हो गई थी, लेकिन रामेश्वरम और धनुषकोडी तक जाने के लिए नए ब्रिज की जरूरत थी, इसलिए यह नया ब्रिज मोदी सरकार ने बनवाया।

 

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Apr 06, 2025 01:10 PM

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