पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। आतंकियों ने उन्हें गोलियों से भून दिया। इस हमले से देश में हड़कंप मच गया और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। वे लोग खुद को किस्मत के धनी मान रहे हैं, जो किसी वजह से उस दिन पहलगाम के मिनी स्विट्ज़रलैंड नहीं पहुंच पाए थे। किसी का मन नहीं हुआ, कोई आधे रास्ते से वापस आ गया, तो कोई पहुंच ही नहीं पाया था। कानपुर का एक परिवार भी था, जो इस हमले में बाल-बाल बच गया। यह परिवार कोई और नहीं बल्कि मृतक शुभम का था।
परिवार के 11 लोग गए थे पहलगाम
शुभम परिवार के साथ जम्मू कश्मीर घूमने गए थे, और जिस दिन हमला हुआ, उसी दिन सभी को वापस लौटना था। शुभम के परिवार के कुल 11 लोग पहलगाम गए थे, जिसमें शुभम की पत्नी, माता-पिता, बहन, बहनोई और ससुराल के कुछ रिश्तेदार भी शामिल थे। शुभम की बहन आरती और पिता ने बताया कि कैसे एक फैसले की वजह से उनकी जान बच गई।
BBC के अनुसार, आरती ने बताया, “हम ऊपर जा रहे थे, लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। मुझे घोड़े पर बैठना भी पसंद नहीं था, इसलिए मैंने जाने से इनकार कर दिया।” आरती के साथ ही परिवार के 6 लोग आगे नहीं गए। यह फैसला उस वक्त हुआ, जब वे आधे रास्ते तक पहुंच चुके थे। आरती का कहना है, “पता नहीं क्यों, मुझे डर लग रहा था। मुझे घबराहट हो रही थी। वहां ठंडक थी, मैंने कपड़े भी कम पहन रखे थे, लेकिन इसके बाद भी मुझे पसीना आ रहा था।”
‘मैंने फैसला कर लिया, नहीं गई आगे’
आरती ने बताया कि उसके वापस लौटने के फैसले पर घोड़े वालों ने उसे समझाने और मनाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “डरने की जरूरत नहीं है, मैं आपको लेकर चलूंगा।” करीब 10 मिनट तक वह मुझे मनाने की कोशिश करते रहे, लेकिन मैंने साफ मना करते हुए कहा, “मैं आपके पूरे पैसे दे दूंगी, लेकिन मैं अब और आगे नहीं जाऊंगी।” आरती अपने फैसले को सही मानते हुए कह रही है, “मैं और परिवार के लोग नहीं गए, अच्छा हुआ, वरना मेरे पिता, पति ना बचते, सब खत्म हो जाता।”
वहीं, शुभम के पिता संजय कुमार द्विवेदी ने कहा, “हम लोग ट्रैवलर से पहलगाम पहुंचे थे। 11 लोगों के लिए घोड़े का इंतजाम किया गया था। सभी पहले पड़ाव तक पहुंचे थे, लेकिन तभी मेरी बेटी ने आगे ना जाने की बात कही। इसके बाद दामाद, बेटी के सास-ससुर, मेरी पत्नी समेत कुल 6 लोगों ने वापस आने का फैसला किया। हम लोग नीचे आ गए। चाय पी रहे थे, तभी बेटे का फोन आया कि हम लोग पहुंच गए। मैंने उसे कहा कि टाइम मत लगाना, जल्दी आ जाना। हम लोग इंतजार कर रहे थे।”
एक कॉल आई और खिसकी पैरों तले जमीन
संजय ने बताया, “पहली बार कॉल 20 या 25 मिनट बाद आई होगी। इसके बाद 5 मिनट बाद एक और कॉल आई। मैंने सोचा कि वे लोग निकल रहे होंगे, इसलिए कॉल कर रहे होंगे। लेकिन इस कॉल के बाद हमारे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। इस फोन ने सब कुछ खत्म कर दिया।” दरअसल, यह फोन गोलीबारी की जानकारी देने के लिए किया गया था, जिसमें शुभम की मौत हो गई।
पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हुई है। चश्मदीदों ने दावा किया है कि गोली मारने से पहले आतंकवादी पर्यटकों से धर्म पूछ रहे थे। जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी। इस घटना की जानकारी सामने आने के बाद देश में हड़कंप मच गया। प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे, उन्होंने गृह मंत्री से घटना की जानकारी ली और उन्हें जम्मू-कश्मीर जाने के लिए कहा। जम्मू-कश्मीर पहुंचे गृह मंत्री ने कई हाई-लेवल मीटिंग्स की। इसके बाद वह उस जगह भी गए, जहां आतंकियों ने गोलीबारी की थी।
इसके बाद दिल्ली में CCS की बैठक हुई और फिर पाकिस्तान के खिलाफ कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए। पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने, उच्चायोग में कर्मियों की संख्या कम करने, सिंधु जल समझौता स्थगित करने जैसे 5 फैसले लिए गए।