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नंगे पैर, शरीर पर धोती, गले में रुद्राक्ष की माला…आखिर कौन हैं आचार्य जोनास मसेट्टी? जिन्हें पद्मश्री से किया गया सम्मानित

ब्राजील के जोनास मसेट्टी को भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु पद्म श्री से सम्मानित किया गया। जानें कौन हैं जोनास मसेट्टी, जिनकी पीएम मोदी ने भी की तारीफ और क्या है उनकी प्रेरणादायक कहानी।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: May 28, 2025 21:45

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह-II में वर्ष 2025 के पद्म पुरस्कारों को प्रदान किया। इस साल कुल 139 पद्म पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनमें 13 मरणोपरांत पुरस्कार, 10 विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई और 23 महिलाएं शामिल हैं।

इन सम्मानित व्यक्तियों में एक नाम जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया, वह था जोनास मसेट्टी, जिन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वे नंगे पांव, सिर पर चोटी, रुद्राक्ष की माला और सिर्फ धोती पहनकर मंच पर पहुंचे, जिससे उपस्थित जनसमूह चकित रह गया। समारोह के दौरान जब उनका नाम पुकारा गया, तो हर किसी के मन में यही सवाल उठने लगा, आखिर कौन हैं जोनास मसेट्टी?

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कौन हैं जोनास मसेट्टी?

जोनास मसेट्टी का जन्म ब्राजील में हुआ। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर शेयर बाजार में काम करना शुरू किया। करियर में सफलता के बावजूद उन्हें जीवन में अधूरापन महसूस हुआ और उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग अपनाने का निर्णय लिया।


इसके बाद वे भारत आए और तमिलनाडु स्थित स्वामी दयानंद सरस्वती के आश्रम में वेदांत और योग की शिक्षा प्राप्त की। आध्यात्मिक शिक्षा के बाद वे ब्राजील लौटे और ‘विश्व विद्या’ नामक संस्था की स्थापना की, जो आज वेदांत, योग, संस्कृत, भगवद गीता और रामायण का वैश्विक प्रचार-प्रसार कर रही है। आज उनकी शिक्षाओं से लगभग 1.5 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं।

जोनास मसेट्टी ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “मुझे पद्म श्री की उम्मीद नहीं थी। यह मेरे लिए ही नहीं, बल्कि इस परंपरा और मेरे पूरे परिवार के लिए सम्मान की बात है। मैं पहले शेयर बाजार में काम करता था और बड़ी-बड़ी कंपनियों से जुड़ा था, लेकिन भीतर से खालीपन महसूस करता था। भारत आने के बाद मैंने वेदांत सीखा और मेरा जीवन बदल गया।”

पीएम मोदी ने की थी सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में जोनास मसेट्टी का उल्लेख किया था। वर्ष 2020 में उन्होंने कहा था कि कुछ लोग भारत की तलाश में आए और यहीं बस गए, जबकि कुछ भारत के सांस्कृतिक राजदूत बनकर अपने देशों में लौट गए। मुझे जोनास मसेट्टी के कार्यों के बारे में जानकर खुशी हुई, जिन्हें ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है। वे ब्राजील में वेदांत और गीता की शिक्षा दे रहे हैं।”

First published on: May 28, 2025 09:45 PM

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