New Parliament Row: देश को नई संसद मिल चुकी है, लेकिन इसके उद्घाटन को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। बहिष्कार के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उद्घाटन समारोह में धार्मिक एंगल निकाल लिया है। ओवैसी ने बुधवार को कहा कि पीएम केवल एक धर्म के लोगों को नए संसद भवन (उद्घाटन के दौरान) के अंदर ले गए। उन्हें सभी धर्मों के लोगों को लेना चाहिए था, क्योंकि वह भारत के 130 करोड़ लोगों के पीएम हैं न कि केवल हिंदुओं के।
#WATCH | PM took people of only one religion inside the New Parliament building (during inauguration). He should have taken people of all religions as he is the PM of 130 crore people of India and not only of Hindus: AIMIM chief Asaduddin Owaisi pic.twitter.com/Q5cHxr6xYo
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) May 31, 2023
श्रृंगेरी मठ के पुजारियों ने किया था मंत्र जाप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच नए संसद परिसर का अनावरण किया था। मोदी ने समारोह को आशीर्वाद देने के लिए देवताओं का आह्वान करने के लिए हवन-पूजन भी किया। उन्होंने ‘सेंगोल’ के सामने दंडवत प्रणाम किया और तमिलनाडु में विभिन्न अधिनामों के महायाजकों से आशीर्वाद मांगा। प्रधान मंत्री ने ‘नादस्वरम’ की धुनों और मंत्रोच्चारण के बीच नए संसद परिसर में ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के दाईं ओर स्थापित किया।
संतों को संसद में ले जाने पर जताई थी आपत्ति
ओवैसी ने उस वक्त भी पीएम मोदी पर निशाना साधा था। उन्होंने नए संसद में पुजारियों को साथ ले जाने को लेकर पीएम की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ। मैंने टीवी पर देखा, प्रधानमंत्री संसद के अंदर जा रहे थे और 18-20 हिंदू पुजारी उनके पीछे (संसद के अंदर) मंत्र जाप कर रहे थे। प्रधानमंत्री, आपने केवल हिंदू पुजारियों को लिया। प्रधान मंत्री ईसाई पादरी, मुस्लिम मौलाना और अन्य धर्मों के धार्मिक नेताओं को (नई संसद) अंदर नहीं ले जाते?
शरद पवार ने भी धार्मिक अनुष्ठानों का किया था विरोध
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी उद्घाटन समारोह के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के आधुनिक भारत की अवधारणा के बारे में बात करने और आज नई दिल्ली में नए संसद भवन में किए गए अनुष्ठानों की एक श्रृंखला के बीच एक बड़ा अंतर है। मुझे डर है कि हम अपने देश को दशकों पीछे ले जा रहे हैं।