India-Saudi Arabia MoU: भारत और सऊदी अरब ने अपने बिजली ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन क्षमताओं के बीच समुद्र के अंदर इंटरलिंक बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई है। ये कदम पारंपरिक तेल और एलपीजी खरीदारी वाले संबंधों को ऊर्जा साझेदारी में बदलने की योजना है।
नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और उनके सऊदी समकक्ष अब्दुलअजीज बिन सलमान अल-सऊद द्वारा साइन किया गया समझौता ज्ञापन, सऊदी तेल और रसोई गैस (एलपीजी) के शुद्ध खरीदार से भारत की स्थिति को हरित ऊर्जा और हाइड्रोजन के साथ ऊर्जा निर्यातक में बदलने की क्षमता रखता है।
चुनौतीपूर्ण है ये समझौता
सरकार ने एक बयान में कहा कि एमओयू जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में ऊर्जा परिवर्तन और वैश्विक ऊर्जा प्रणाली के परिवर्तन के लिए भारत के प्रयासों का समर्थन करेगा। जानकारों का कहना है कि सबसे दूर कनेक्टिविटी वाला सबसे महत्वाकांक्षी और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण प्रस्ताव है, क्योंकि यह दोनों अर्थव्यवस्थाओं को एक धागे में बांध देगा। बता दें कि दुनियाभर में समुद्रों के अंदर 485 केबल परिचालन में हैं, जिनमें सबसे लंबा ब्रिटेन और डेनमार्क के बीच 764 किलोमीटर लंबा वाइकिंग लिंक है।
#WATCH | Delhi: "We would like to extend our thanks for the warm welcome and hospitality. We the Kingdom of Saudi Arabia value the historical relationship between the 2 countries, and we look forward to deepening cooperation in all areas", says Crown Prince and PM of Saudi… pic.twitter.com/oFTTfCxSWr
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) September 11, 2023
… तो साकार होगा पीएम मोदी का सपना
जानकारों का मानना है कि जब भी यह योजना साकार होगी तो मुख्य रूप से हरित ऊर्जा के लिए वैश्विक ग्रिड के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ दृष्टिकोण में पहला ऑफशोर लिंक होगा। निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए एक सकारात्मक पहलू यह है कि “ऊर्जा के क्षेत्र में विशेषज्ञता वाली कंपनियों के साथ सहयोग को मजबूत करके” चिह्नित क्षेत्रों में “द्विपक्षीय निवेश को प्रोत्साहित करना” सूचीबद्ध किया गया है।
एस्सार बना रहा हरित इस्पात
विनीत मित्तल के नेतृत्व वाली अवाडा एनर्जी और रुइयास प्रवर्तित एस्सार समूह द्वारा सऊदी अरब में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण के लिए क्रमशः AEW (अल जोमैह एनर्जी एंड वॉटर) और डेजर्ट टेक्नोलॉजीज के साथ साझेदारी की घोषणा से क्रॉस-इंवेस्टमेंट के शुरुआती संकेत सामने आए हैं, जहां एस्सार 4.5 बिलियन डॉलर का हरित इस्पात संयंत्र निर्माण कर रहा है।
#WATCH | President Droupadi Murmu and Crown Prince and PM of Saudi Arabia, Prince Mohammed bin Salman bin Abdulaziz Al Saud met at Rashtrapati Bhavan in Delhi this evening.
Vice President Jagdeep Dhankhar, Prime Minister Narendra Modi, NSA Ajit Doval, Union Ministers and other… pic.twitter.com/65YOZdhK0I
— ANI (@ANI) September 11, 2023
भारत के पास है इतना तेज भंडार
समझौता ज्ञापन पेट्रोलियम भंडार के क्षेत्रों में सहयोग पर भी केंद्रित है। यह एक ऐसा कदम है जो भारत की रणनीतिक तेल और गैस भंडारण क्षमताओं के विस्तार में सऊदी निवेश कर सकता है। भारत के पास वर्तमान में 5 मिलियन टन से कुछ ज्यादा का तेल भंडार है, जो तीन स्थानों पर फैला हुआ है और वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए एलपीजी को एक गुफा में संग्रहीत करता है। इसके अलावा द्विपक्षीय मुलाकात में पीएम मोदी और मोहम्मद बिन सलमान ने आपसी हित के मुद्दों पर भी चर्चा की।
अटक गया था ये समझौता
बता दें कि भारत ने 2008 में मन्नार की खाड़ी के पार श्रीलंका के साथ 500 मेगावाट के समुद्री बिजली लिंक का प्रस्ताव रखा था। सरकारी कंपनी पावरग्रिड ने तब इसकी लागत 2,292 करोड़ रुपये आंकी थी और कहा था कि इसे 42 महीनों में पूरा किया जा सकता है। लेकिन श्रीलंका के रुख बदलने के बाद प्रस्ताव को स्थगित कर दिया गया। भारत वर्तमान में बांग्लादेश और नेपाल को बिजली निर्यात करता है और भूटान से बिजली आयात करता है। नई दिल्ली म्यांमार और उससे आगे तक ग्रिड कनेक्टिविटी का विस्तार करने पर विचार कर रही है।