National Education Policy 2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अब जल्द ही जमीनी तौर पर नजर आने वाली है। शिक्षा मंत्रालय ने एक अहम फैसला लिया है। माना जा रहा है कि अगले साल से एक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होंगी। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क यानी सीएफ की रूपरेखा के मुताबिक स्कूली शिक्षा का सिलेबस तैयार किया जा रहा है। इसमें कई बदलाव भी किए गए हैं। कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक परीक्षा पैटर्न और विषयों को लेकर कई सिफारिशें भी हुईं, जिसके बाद स्कूली शिक्षा और परीक्षाओं के तौर तरीकों में बड़ा बदलाव आने वाले समय में देखने को मिलेगा।
बोर्ड की परीक्षाएं 2 बार क्यों जरूरी?
जानकारी के मुताबिक, छात्रों के मानसिक तनाव को कम करने और उनकी परफॉर्मेंस को बेहतर करने के लिए साल में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं कराई जाएंगी। इसके अलावा क्लास में कॉपियों को भरने के वर्तमान चलन से भी बचा जाएगा। इतना ही नहीं स्कूल बोर्ड उचित समय में ‘ऑन डिमांड’ परीक्षा की पेशकश करने की भी क्षमता विकसित करेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार नया पाठ्यक्रम ढांचा यानी एनसीएफ तैयार कर लिया गया है। ऐसे में 2024 शैक्षणिक सत्र के लिए किताबें भी तैयार की जा रही हैं।
अगर कोई छात्र बोर्ड परीक्षा में एक बार फेल होता है तो वह उसी साल दोबारा परीक्षा देकर पास हो सकता है। हालांकि, जिन छात्रों का पहले साल स्कोर कम होगा, वो भी दूसरी बार परीक्षा देकर अपने नंबर बढ़ा सकेंगे। कहा गया है कि इसमें अच्छे नंबरों को ही फाइनल मार्क्स माना जाएगा।
वहीं सिलेबस पूरा करके बोर्ड के लिए पैदा होने वाले प्रेशर को भी कम किया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी वजह से छात्र बोर्ड की एक परीक्षा में कम नंबर ला पाया तो वह दूसरी बार परीक्षा में बैठकर अपनी परफॉर्मेंस को और ज्यादा बेहतर कर सकता है। इससे छात्रों के मन में विषय के रट्टाफिकेशन (रटने की आदत) से ज्यादा समझ बढ़ेगी और भविष्य उन्हें कंठस्त होगा।
स्कूलीं शिक्षा का कोर्स कितना बदलेगा
दरअसल, कोर्स तैयार करने के लिए एक स्टीयरिंग कमेटी बनाई गई थी, जिसके अध्यक्षता कस्तूरीरंगन हैं। कस्तूरीरंगन इसरो के वैज्ञानिक भी रहे हैं।। स्टीयरिंग कमेटी ने अपने तमाम सुझाव सरकार को दे दिए हैं। सरकार ने अब उन सुझावों के मुताबिक एनसीईआरटी को कोर्स सौंप दिया है। एनसीईआरटी ने नेशनल ओवरसाइट कमेटी और नेशनल सिलेबस एवं टेक्सबुक कमिटी बनाई हैं। इनके द्वारा कक्षा तीन से 12वीं तक का कोर्स तैयार किया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री के मुताबिक इस कोर्स को 21वीं सदी में भारत के ज्ञान और देश की ग्लोबल एक्सपेक्टेशन को आधार मानते हुए तैयार किया गया है। यानी साफ है कि अगले शिक्षा सत्र से कक्षा 3 से कक्षा 12वीं तक नई किताबों के माध्यम से छात्रों का ज्ञानवर्धन किया जाएगा।