---विज्ञापन---

आख‍िर कैसे चुने जाते हैं मैसूर दशहरे के ल‍िए हाथी? गजराज के अगल-बगल क्‍यों चलती हैं हथ‍िनी, जानें ये खास कारण

Dussehra festival: कर्नाटक के मैसूर में दशहरे के लिए स्पेशल तैयारी हो चुकी है। यहां पर हर साल दशहरे का खास आयोजन होता है। मैसूर दशहरा को नाडा हब्बा के नाम से भी जाना जाता है। जानिए इस साल मैसूर दशहरा के लिए क्या खास तैयरियां की गई हैं?

Edited By : Shabnaz | Updated: Oct 11, 2024 08:56
Share :
Mysore Dussehra
मैसूर दशहरा के लिए हाथियों की ट्रेनिंग

Dussehra festival: देशभर में दशहरा और दिवाली को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। नवरात्रि के मौके पर जगह-जगह पर डांडिया का आयोजन किया जा रहा है। दशहरा पर कई जगह मेला लगता है लेकिन कर्नाटक के मैसूर का दशहरा उत्सव सबसे अलग होता है। इस बार दशहरे के 408वें आयोजन के लिए तैयारियां हो चुकी हैं। इस दौरान हाथियों की परेड कराई जाती है। इस हाथियों को इस प्रोग्राम के लिए बहुत पहले से ट्रेनिंग दी जाती है। आपको बताएंगे इस परेड के लिए हाथियों को कैसे चुना जाता है।

कन्नड़ भाषा में नाडा हब्बा के नाम से मशहूर दशहरा उत्सव की तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस आयोजन में सबसे खास जम्बो सवारी को माना जाता है, जो शनिवार को की जाएगी। इसके लिए 12 हाथी मैसूर पैलेस से बन्नी मंडप तक 7.5 किमी की परेड करते हैं।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: दिवाली-छठ के बाद रेलवे ने रद्द की 18 ट्रेनें; 3 महीने तक यात्रियों को लगेगा झटका!

कैसे तैयार किए जाते हैं हाथी?

7.5 किमी की परेड में हाथियों का एक पूरा झुंड शामिल होता है। इस बार इस ग्रुप को लीड करने के लिए 58 साल के ‘अभिमन्यु’ नाम के हाथी को चुना गया है। इस हाथी पर 750 किलो वजन के सोने का ‘हौदा’ (हाथी पीठ पर जो मंडप बना होता है ) सजेगा। ये हाथी शांत रहें इसके लिए उनको करीब दो महीने पहले से तैयार करना शुरू कर दिया जाता है। जिसमें 14 हाथियों को सिलेक्ट किया जाता है, उनमें से 12 परेड में शामिल होते हैं

---विज्ञापन---

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई से इन हाथियों को चुनने का काम शुरू हो जाता है। अधिकारी और वन्यजीव विशेषज्ञों की एक समिति हाथियों की तादाद वाले कुर्ग, चामराजनगर, मैसूर जिले के जंगलों में बने हाथी कैंप में जाती है। फिर हाथियों के झुंड के सामने पटाखे फोड़े जाते हैं। जो एक तरह का साउंड सिस्टम होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इस स्थिति में हाथियों की प्रतिक्रिया को देखा जा सके। पटाखे और ड्रम बजाकर हाथियों की आंखों में डर को देखा जाता है, जो इस स्थिति में भी शांत रहते हैं उनको चुन लिया जाता है। हाथियों के चयन की यह प्रक्रिया 400 साल से चली आ रही है।

हथिनी क्यों चलती हैं साथ?

15 दिनों तक इन हाथियों को देखरेख में रखा जाता है। उनको ऐसा खाना खिलाया जाता है जिससे उनका दिमाग शांत रहे। इसके अलावा परेड को लीड करने वाले हाथी के अगल-बगल में दो हथिनियों को रखा जाता है। इससे हाथी भीड़ में बेकाबू नहीं होता, बल्कि ऐसा करने से शांत रहता है। इन तीनों को लगभग दो महीने तक एक साथ रखा जाता है, ताकि ये एक दूसरे को समझ सकें।

ये भी पढ़ें: बिहार के लिए चलीं दो Vande Bharat और Tejas, शेडयूल-टाइमिंग देखें और करवाएं बुकिंग

HISTORY

Written By

Shabnaz

First published on: Oct 11, 2024 08:56 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें