म्यांमार और थाईलैंड में हाल ही में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी वजह से 2 हजार लोगों की जान चली गई। 4 हजार से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। ऐसी घटनाओं से भारत को भी सबक लेने की जरूरत है। अगर भारत में ऐसी प्राकृतिक आपदा आई तो निपटने के लिए तैयारियां कैसी हैं, इसको लेकर विशेषज्ञ ने राय दी है? इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. ईलिया जाफर बताती हैं कि भारत में एक बड़ा भूकंप आने की बहुत ज्यादा आशंका है। अगर दिल्ली और गुवाहाटी जैसे शहरों में ऐसी आपदा आई तो बेहद नुकसान हो सकता है। म्यांमार में सागाइंग फॉल्ट के साथ हॉरिजॉन्टल स्पीड की वजह से भूकंप आया। ऐसा तब होता है, जब जमीन के अंदरूनी हिस्सों में हलचल हो। स्ट्राइक स्लिप फॉल्ट की घटना कैलिफोर्निया में सैन एंड्रियास फॉल्ट जैसे भूकंप के समान थी।
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भारत उन देशों में शामिल है, जहां भूकंप आने का खतरा बना रहता है। भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने की वजह से हिमालयी क्षेत्र में दबाव बनता है। इसकी वजह से कभी भी 8+ तीव्रता वाला ‘ग्रेट हिमालयन भूकंप’ आ सकता है। मध्य और प्रायद्वीपीय भारत में भी 1993 में लातूर जैसे दुर्लभ घातक इंट्राप्लेट भूकंप का खतरा बना हुआ है। भारत का लगभग 59 फीसदी हिस्सा ऐसा है, जहां कभी भी भूकंप आ सकता है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों में खतरा अधिक है। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगर भी खतरनाक क्षेत्रों में शामिल हैं।
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डॉ. जाफर के अनुसार भूकंप जब भी आता है, इमारतों के मलबे में दबने से लोगों की मौत अधिक होती है। भारत 1905 में कांगड़ा भूकंप, 1934 में बिहार आपदा, 1950 में असम भूकंप और 2001 में गुजरात के भुज में त्रासदी का सामना कर चुका है। भारत को जापान और चिली जैसे देशों से सबक लेने की जरूरत है। इन्होंने विनाश को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। इन देशों ने भूकंपरोधी संरचनाएं बनाई हैं, जिनकी वजह से अनगिनत लोगों की जानें बची हैं। भारत अभी तक राष्ट्रव्यापी स्तर पर ऐसे उपाय नहीं कर सका है।
Russia’s rescuers in Myanmar in dismay over flattened buildings, following largest earthquake in Asia in a century.
Prayers go out to all the families in Myanmar and Thailand affected by this earthquake.
Keep them in your prayers 🙏 pic.twitter.com/QxoVbILf67— SlavicFreeSpirit (@SlavFreeSpirit) March 31, 2025
20 साल में भारत को हजारों करोड़ का नुकसान
डॉ. जाफर के अनुसार भारत को पिछले 20 साल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण लगभग 79.5 बिलियन डॉलर (79.5 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। अकेले भुज भूकंप से गुजरात को 10 बिलियन डॉलर (10 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था। नेपाल में आए भूकंप से उत्तरी भारत में भी 7 बिलियन डॉलर (7 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ। मजबूत इमारतें पैसे और जानें बचाती हैं। खराब निर्माण के साथ तेजी से बढ़ते शहर हालात को और खराब कर देते हैं। भारत में भूंकप आशंकित इलाकों में अधिकांश इमारतों में सुरक्षा सुविधाओं का अभाव है। अस्पताल, बिजली संयंत्र और स्कूल बड़े भूकंप में गिर सकते हैं। दिन के समय भीड़भाड़ वाले शहरों में अनगिनत लोग मारे जा सकते हैं।
बिल्डिंग कोड लागू किया जाए
डॉ. जाफर के अनुसार भारत में भूकंप को झेलने के लिए बिल्डिंग कोड बनाए गए हैं, लेकिन इनकी अनदेखी की जा रही है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने कई दिशा-निर्देश भी तय किए हैं। नियमों का उल्लंघन करने वाले बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। ऊंची इमारतों के लिए नियमित संरचनात्मक ऑडिट जरूरी हैं। हालांकि कुछ शहर अब खुद को भूकंप से निपटने को तैयार भी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए नोएडा ने ऑडिट को संचालित करने के लिए आईआईटी कानपुर, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय, एमएनआईटी इलाहाबाद, बिट्स पिलानी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, एमएनआईटी जयपुर और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की जैसे संस्थानों के साथ भागीदारी की है। केवल निरीक्षण से समस्या हल नहीं होगी। हमें और अधिक प्रशिक्षित विशेषज्ञों की जरूरत है।
🇲🇲 Myanmar after the earthquake pic.twitter.com/r04vHkkfwm
— Megatron (@Megatron_ron) March 29, 2025
स्कूलों में ट्रेनिंग देना जरूरी
डॉ. जाफर के अनुसार अधिकांश भारतीय नहीं जानते कि भूकंप के समय क्या करना चाहिए। स्कूलों, दफ्तरों, अपार्टमेंटों और सार्वजनिक स्थानों पर इसकी जानकारी देनी जरूरी है। हर घर में पानी, भोजन, टॉर्च, बैटरी और दवाओं की आपातकालीन आपूर्ति जरूरी है। स्कूलों में बच्चों को भूकंप से बचने की जानकारी देनी चाहिए। शहरों में लोगों के सुरक्षित रूप से बाहर निकलने के लिए खुली जगह भी होनी चाहिए, लेकिन अनियंत्रित शहरी विकास की वजह से जगह का अभाव हो रहा है। किसी भी हालत में आपातकालीन सेवाओं को चालू रखना चाहिए।