भारत में इस साल मानसून की शुरुआत समय से पहले ही हो गई है। देश के कई राज्यों में तो पहले से ही बारिश हो रही है। इसके अलावा मौसम विभाग (IMD) ने देश के कई हिस्सों में आंधी-तूफान, तेज हवाओं और भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहीं, इस बीच केरल और महाराष्ट्र में तो मानसून ने पहले ही दस्तक दे दी है। हर साल देश में मानसून 1 जून या उसके बाद से शुरू होता था। लेकिन इस बार 23 मई से यानी 8 दिन पहले से ही मानसून की शुरुआत हो गई है। चलिए जानते हैं कि भारत में समय से पहले मानसून के आने के पीछे का कारण आखिर क्या है।
समय से पहले मानसून आने का कारण
देश में समय से पहले मानसून के आने के कई मौसम और क्लाइमेट सिस्टम से जुड़े हुए हैं। इसमें समुद्री सतह का तापमान, मौसमी हवाओं का व्यवहार, मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन, एल नीनो/ला नीना प्रभाव, वायुमंडलीय दबाव और जलवायु परिवर्तन में बदलाव शामिल हैं।
समुद्री सतह का तापमान (SST): जब अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री सतह का तापमान नॉर्मल से ज्यादा हो जाता है, तब ऐसे में मानसून जल्दी शुरू हो सकता है। क्योंकि समुद्री सतह का तापमान हवाओं में नमी को बढ़ाता है, जिससे मानसून के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनती हैं।
मौसमी हवाओं का व्यवहार: मानसून की ज्यादातर निर्भरता दक्षिण-पश्चिमी हवाओं पर होती है। इसलिए जब भी जेट स्ट्रीम या फिर दूसरी वैश्विक हवाएं समय से पहले दक्षिण की तरफ खिसकती हैं तो मानसून की शुरुआत जल्दी हो सकती है।
एल नीनो (El Niño) और ला नीना (La Niña) प्रभाव: दरअसल, ला नीना (La Niña) की स्थिति भारत में मानसून को मजबूत और जल्दी ला सकती है।
मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO): जब हिंद महासागर में बादल इकट्ठा हो जाते हैं, जो बारिश को प्रभावित करते हैं। ये एक तरह की वैश्विक मौसमी घटना है। अगर MJO का एक्टिव फेज समय से पहले शुरू होता है, तो मानसून की शुरुआत भी जल्दी हो जाती है।
वायुमंडलीय दबाव में बदलाव: जब भारतीय उपमहाद्वीप पर दबाव का क्षेत्र कम हो जाता है तो इससे मानसून की शुरुआत पहले हो सकती है।
जलवायु परिवर्तन: धरती पर तेजी से बढ़ रहे ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम के पैटर्न में बदलाव हो रहा है। जिससे तापमान में बढ़ोतरी और बारिश के पैटर्न प्रभावित हो रहे हैं। इससे भी समय से पहले मानसून आ सकता है।
बता दें कि साल 2009 में भी मानसून की शुरुआत समय से पहले हो गई थी। 2009 में मानसून ने 23 मई को ही दस्तक दे दी थी। इस पर क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख बी अमुधा ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के आधार पर फिलहाल पूर्वोत्तर मानसून के प्रदर्शन के बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है।