कुमार गौरव, नई दिल्ली: बीजेपी मिशन 2024 की तैयारी में लग चुकी है। रणनीति की बात तो छोड़िए अब तो बीजेपी अपने उम्मीदवारों के कठिन चयन प्रक्रिया की भी शुरुआत कर चुकी है। वैसे भी बीजेपी को चुनावी मशीन कहा जाने लगा है। वार्ड चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक में बीजेपी पूरी मजबूती और रणनीति के साथ मैदान में उतरती है।
गुजरात, हिमाचल के विधानसभा चुनाव और दिल्ली एमसीडी चुनाव के बाद बीजेपी आगे की चुनावी तैयारी में जुट गई है । अगले साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके बाद लोकसभा चुनाव 2024 में हैं, लेकिन राज्य चुनाव की तैयारी के साथ-साथ बीजेपी सिर्फ लोकसभा चुनाव की रणनीति की ही तैयारी में नही जुटी है।
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सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू
बीजेपी तो अब लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में भी लग गई। इसके लिए सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मुद्दे पर बात करते हुए बीजेपी के सांसद गोपाल शेट्टी ने कहा कि ये अच्छी प्रक्रिया है। इससे सांसद अपने चुनावी इलाके में अधिक समय देता है और बीजेपी ये प्रयोग बहुत समय से करती है, तभी चुनावी सफलता का प्रतिशत बेहतर होता है।
बीजेपी उम्मीदवार के टिकट का चयन कई चरणों में करती है। कई सर्वे भी करवाती है। भाजपा संगठन के फीडबैक पर रिपोर्ट कार्ड भी तैयार करती है, लेकिन मोदी युग की शुरुआत के बाद उम्मीदवारों का चयन कठिन प्रक्रिया में तहत होता है। इस बार सांसदों के रिपोर्ट कार्ड के लिए 7 मापदंड तैयार किए गए हैं।
• सांसद जनता के बीच कितना रहे?
• जनता में कितनी स्वीकार्यता?
• अपने क्षेत्र में कितने लोकप्रिय?
• सांसद निधि का इस्तेमाल कैसे किया?
• सरकार की योजनाएं पहुंचीं या नहीं?
• कामकाज जनता तक पहुंचा या नहीं
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• जनता के साथ व्यवहार कैसा रहा
चुनावी चेहरा नरेंद्र मोदी ही होंगे
बीजेपी मानती है कि विकास के मुद्दों के साथ क्षेत्रीय आधार पर उम्मीदवार का मजबूत होना जीत की गारंटी है। लोकसभा चुनाव में अभी दो साल से ज्यादा का वक्त बचा है, लेकिन बीजेपी अभी से मुद्दों के साथ साथ उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान दे रही है। ये भी तय किया गया है कि पार्टी के द्वारा तय किए गए सात मापदंडों पर जो सांसद खड़ा उतरेगा, टिकट उसी को मिलेगा नहीं तो उम्मीदवार बदल दिया जाएगा। बीजेपी का चुनावी चेहरा नरेंद्र मोदी ही होंगे, लेकिन बीजेपी को लगता है कि मोदी ब्रांड के साथ साथ उम्मीदवारों की बेहतर और मेहनतकश छवि भी जरूरी है, तभी मिशन 400 के आंकड़े तक पहुंचा जा सकता है।
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