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भारत आएगा मेहुल चोकसी! PM मोदी के इस फैसले ने खोला रास्ता? जानें क्या है भारत-बेल्जियम की संधि?

हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी बेल्जियम में गिरफ्तार हुआ है। भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत सरकार उसे जल्द वापस लाने की कोशिश कर रही है। जानें इससे पहले कब गिरफ्तार हुआ था मेहुल चोकसी, क्यों तब बच निकला था भगोड़ा?

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Apr 14, 2025 17:11

भारत का भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है। उस पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के साथ लगभग 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। घोटाले का नाम सामने आने के बाद वह भारत से भागकर एंटीगुआ चला गया था। 2018 से ही भारतीय अधिकारी उसे भारत लाने की कोशिश कर रहे हैं। अब जबकि वह बेल्जियम में गिरफ्तार हो चुका है, सवाल यह उठता है कि क्या उसे भारत लाने का रास्ता अब साफ हो गया है? क्या प्रधानमंत्री मोदी की बेल्जियम से हुई डील से भारत को फायदा मिलेगा?

बताया जा रहा है कि मेहुल चोकसी की कानूनी टीम बेल्जियम में उसकी जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकती है। इसके साथ ही वह स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए भारत सरकार के प्रत्यर्पण आग्रह का विरोध भी कर सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि उसकी बीमारी को ही भारत न लौटने के लिए सबसे बड़ी दलील के तौर पर पेश किया जा सकता है।

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मेहुल चोकसी कौन-सी बीमारी का हवाला दे रहा?

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मेहुल चोकसी ने अदालत में दावा किया है कि वह ल्यूकीमिया (ब्लड कैंसर) से पीड़ित है। उसका कहना है कि बेल्जियम के एक डॉक्टर ने उसे यात्रा के लिए पूरी तरह अयोग्य बताया है।

ल्यूकीमिया रक्त बनाने वाले ऊतकों का कैंसर है, जो शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर देता है। यह बीमारी आमतौर पर दो प्रकार की होती है एक धीमी गति से बढ़ने वाली और दूसरी तीव्र। तीव्र ल्यूकीमिया में थकावट, वजन घटना, बार-बार संक्रमण होना, और शरीर पर आसानी से चोट या खून बहना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इस बीमारी का इलाज बेहद संवेदनशील होता है और रोगी को लगातार निगरानी में रखना पड़ता है।

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भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि

2020 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल की तरफ से भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर और आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी। भारत और बेल्जियम के बीच 2020 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इससे पहले 1901 में ब्रिटिश शासनकाल में समझौता हुआ था, भारत की आजादी से पहले। नई संधि के तहत गंभीर अपराधों के आरोपी या दोषियों के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है।

इस संधि के अनुसार

  • यदि किसी व्यक्ति को दोनों देशों के कानूनों के तहत एक साल या उससे अधिक की सजा दी जा सकती है, तो उसका प्रत्यर्पण किया जा सकता है।
  • कर, वित्तीय धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार जैसे अपराध इस संधि में शामिल हैं।
  • राजनीतिक अपराधों के मामले में प्रत्यर्पण से छूट दी गई है, हालांकि हर मामला राजनीतिक नहीं माना जा सकता।
  • जाति, धर्म, लिंग, राष्ट्रीयता के आधार पर किसी को सजा देने वाले मामलों को भी संधि के बाहर रखा गया है।
  • मेहुल चोकसी ने राजनीतिक उत्पीड़न का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण का विरोध किया है।

पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी

यह पहली बार नहीं है जब मेहुल चोकसी गिरफ्तार हुआ है। मई 2021 में वह एंटीगुआ से निकलकर डोमिनिका चला गया था, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। उस वक्त भारत की CBI टीम भी डोमिनिका पहुंची थी। लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही ब्रिटिश क्वीन की प्रिवी काउंसिल से उसे राहत मिल गई और वह वापस एंटीगुआ चला गया। उस समय वह करीब 51 दिन जेल में रहा था। उस दौरान उसकी एक फोटो भी वायरल हुई थी, जिसमें उसके शरीर पर चोट के निशान दिखे थे। चोकसी ने आरोप लगाया था कि जेल में उसके साथ मारपीट की गई।

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Apr 14, 2025 05:08 PM

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