भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को नाटो (NATO) प्रमुख मार्क रुटे की चेतावनी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। दरअसल, NATO चीफ रुटे ने रूस के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखने पर भारत पर संभावित ‘द्वितीय प्रतिबंधों'(Secondary Sanctions) की धमकी दी थी। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि इस मामले में ‘दोहरा मापदंड’ नहीं चलेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हमने इस विषय पर रिपोर्ट देखी हैं और भारत घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैं यह दोहराना चाहता हूं कि हमारी ऊर्जा जरूरतें हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। यह समझने वाली बात है।
क्या कहा विदेश मंत्रालय ने?
MEA प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ‘हमने इस विषय पर रिपोर्ट देखी हैं और घटनाक्रम पर पैनी नजर रख रहे हैं। मैं दोहराना चाहता हूं कि हमारे लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस प्रयास में हम बाजार में उपलब्ध चीजों और मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखकर ही फैसले लेते हैं। हमें इस मामले में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड से बचना चाहिए।’
#WATCH | Delhi | On Nato chief Mark Rutte’s comment that countries buying Russian oil could face secondary sanctions, MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, “We have seen reports on the subject and are closely following the developments. Let me reiterate that securing the energy… pic.twitter.com/SdhmWRQYLL
— ANI (@ANI) July 17, 2025
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क्या कहा था मार्क रुटे ने?
विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी NATO प्रमुख मार्क रुटे के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने अमेरिका के सीनेटरों टॉम टिलिस और जीन शाहीन के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत, चीन और ब्राजील से रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों पर फिर से विचार करने को कहा था। नाटो प्रमुख मार्क रुटे ने भारत, चीन और ब्राजील को रूस से तेल और गैस व्यापार जारी रखने पर 100 प्रतिशत सेकेंडरी सैंक्शनंस का सामना करने की चेतावनी दी थी। यह बयान उस वक्त आया जब रुटे ने अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने को कहा। रुटे ने सीधे तौर पर तीनों देशों को चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर आप बीजिंग, दिल्ली या ब्राज़ील के राष्ट्रपति हैं, तो अब समय है सोचने का क्योंकि यह आपके लिए बहुत भारी पड़ सकता है।’
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रूस पर यूक्रेन से समझौते का दबाव
यह बयान ट्रंप की यूक्रेन को अतिरिक्त सैन्य सहायता देने की घोषणा के बाद आया है। इस सहायता में हवाई सुरक्षा प्रणाली, मिसाइलें और गोला-बारूद शामिल हैं, जिसका ज्यादातर खर्च यूरोपीय सहयोगी उठाएंगे। ट्रंप ने रूस को गंभीर शांति वार्ता में शामिल होने के लिए 50 दिनों की समय सीमा भी दी है, नहीं तो उसे सेकेंडरी सैंक्शन का सामना करना पड़ेगा। रूस से सस्ता तेल खरीदना भारत का आर्थिक फैसला है, जो ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन रुटे की धमकी बताती है कि पश्चिमी देश भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं। हालांकि, यूरोप खुद रूस से तेल खरीद रहा है।
भारत पर दबाव बनाने की कोशिश
रुटे ने भारत से पुतिन को फोन कर शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने को कहा। ये बयान भारत के शांति प्रयासों को नजरअंदाज करता है। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में संतुलित रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि ये युद्ध का युग नहीं है। साल 2024 में मोदी ने पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से बात की थी और यूक्रेन का दौरा भी किया था। रुटे का यह बयान ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के ठीक बाद आया है। ब्रिक्स की बढ़ती ताकत और पेट्रोडॉलर के विकल्प की चर्चा से पश्चिमी देश बेचैन हैं।
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