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Marital Rape क्या? ‘सुप्रीम’ फैसले से पहले 5 पॉइंट्स में समझें मामला

Supreme Court on Marital Rape Latest Update: सुप्रीम कोर्ट आज मैरिटल रेप पर सुनवाई करेगा। पिछले कई सालों से मैरिटल रेप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दर्ज की गई हैं। तो आइए जानते है मैरिटल रेप आखिर क्या है और इस पर इतना बवाल क्यों मच रहा है।

Edited By : Sakshi Pandey | Updated: Sep 24, 2024 11:42
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Supreme Court on Marital Rape Latest Update: वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप का मुद्दा पिछले काफी समय से अटका हुआ है। कई लोग इसे अपराध बनाने की मांग कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसके सख्त खिलाफ हैं। मैरिटल रेप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। पिछले 1 साल से सुप्रीम कोर्ट इन पर केंद्र का जवाब मांग रहा है। मगर केंद्र सरकार ने अभी तक अपना पक्ष साफ नहीं किया है। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप पर सुनवाई को मंजूरी दे दी है। आज सर्वोच्च न्यायालय में मैरिटल रेप पर सुनवाई होनी है।

1. सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने मैरिटल रेप पर जल्द सुनवाई करने की मांग की है। इसके मद्देनजर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच मैरिटल रेप की याचिकाओं पर सुनवाई करने को राजी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यह कानून का मामला है और सरकार को इस पर बहस करनी ही होगी।

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2. क्या है मैरिटल रेप?

अगर कोई पति अपनी पत्नी की अनुमति के बिना उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे मैरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार की श्रेणी में गिना जाता है। अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 77 देशों ने मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा है। हालांकि इस लिस्ट में भारत का नाम शामिल नहीं है। भारत में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता है और इसके लिए किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं है।

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Supreme Court of India

3. क्या कहता है कानून?

IPC की धारा 375 के अनुसार अगर कोई पति अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा। वहीं भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अनुच्छेद 63 में पत्नी की उम्र को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है। इन्हीं प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि मैरिटल रेप को पूरी तरह से अपराध घोषित किया जाना चाहिए।

4. केंद्र सरकार का पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की पैरवी करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि अगर मैरिटल रेप को अपराधी की कैटेगरी में रखा गया, तो समाज पर इसका बुरा असर पड़ेगा। इससे शादी की पवित्रता पर सवाल उठने लगेंगे और कई महिलाएं इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकती हैं। पतियों को परेशान करने के लिए महिलाएं इसे हथियार की तरह इस्तेमाल करेंगी।

5. कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला

2022 में मैरिटल रेप पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने पति को सजा सुना दी थी। हाईकोर्ट का कहना था कि यौन हमलों से महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक असर पड़ता है। वहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के आंकड़ों की मानें तो देश में 29 प्रतिशत महिलाएं मैरिटल रेप का शिकार होती हैं। गांव में 32 प्रतिशत और शहरों में 24 फीसदी महिलाएं वैवाहिक बलात्कार से जूझ रही हैं।

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Sakshi Pandey

First published on: Sep 24, 2024 11:42 AM

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