Manipur violence: मणिपुर भाजपा विधायक ने हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का आदेश दिया गया है। मणिपुर विधानसभा की पहाड़ी क्षेत्र समिति (एचएसी) के अध्यक्ष डिंगांगलुंग गंगमेई की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मेइती समुदाय एक जनजाति नहीं है और इसे कभी भी इस तरह से मान्यता नहीं दी गई है।
याचिका में आगे कहा गया है कि अनुसूचित जनजाति सूची के लिए एक जनजाति की सिफारिश करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने वाला आदेश पूरी तरह से राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि उच्च न्यायालय के। भाजपा विधायक गंगमेई की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इस आदेश के कारण मणिपुर में अशांति फैल गई है, जिसके कारण 19 लोगों की मौत हुई है।
27 मार्च को हाई कोर्ट ने दिया था ये निर्देश
बता दें कि 27 मार्च को हाईकोर्ट ने राज्य को अनुसूचित जनजातियों की सूची में मेइती समुदाय को शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील में कहा गया है कि आदेश पूरी तरह से अवैध है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
भाजपा विधायक की याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट को ये महसूस करना चाहिए था कि ये एक राजनीतिक समस्या थी जिसमें कोर्ट की कोई भूमिका नहीं थी और राजनीतिक विवादों को राजनीतिक रूप से हल किया जाना था।
बता दें कि मणिपुर में 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) की एक रैली के बाद मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच हिंसा भड़क गई थी। हिंसा के बाद स्थितियां बिगड़ गईं जिसके बाद केंद्र सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की।