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Make My Trip vs Booking.com: दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसा क्या फैसला सुनाया, जिसके बाद शुरू हो गई नई बहस

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बुकिंग.कॉम एक लोकप्रिय वेबसाइट है। एमएमटी और बुकिंग.कॉम पर भ्रम की संभावना कम है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Dec 19, 2023 16:24
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delhi high court
दिल्ली उच्च न्यायालय।

Make My Trip Vs Booking.com:  पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद डिजिटल क्षेत्र में ट्रेडमार्क उल्लंघन पर एक नई बहस शुरू हो गई। यह बहस इस बात पर केंद्रित है कि क्या यह उपयोगकर्ताओं के बीच भ्रम पैदा कर सकता है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

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दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि ऑनलाइन विज्ञापन प्लेटफॉर्म Google Ads पर ट्रेडमार्क का उपयोग ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 के तहत उल्लंघन नहीं है। हाई कोर्ट ने यह फैसला ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी मेकमाईट्रिप (एमएमटी) के इस दावे पर दिया कि उसके ट्रेडमार्क, ‘मेकमाईट्रिप’ और ‘एमएमटी’ का उपयोग उसके प्रतिद्वंद्वी बुकिंग.कॉम के विज्ञापन और लिंक प्रदर्शित करने के लिए Google विज्ञापनों में कीवर्ड के रूप में किया जा रहा था।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बुकिंग.कॉम एक लोकप्रिय वेबसाइट है। एमएमटी और बुकिंग.कॉम पर भ्रम की संभावना कम है।

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हाई कोर्ट के इस आदेश का मतलब यह है कि किसी व्यक्ति या इकाई द्वारा किसी लोकप्रिय ब्रांड से जुड़ने के लिए कीमत चुकाने की संभावना हमेशा बनी रहती है। हालांकि, ऐसी कार्रवाई को ट्रेडमार्क का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

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‘जरूरी नहीं कि ट्रेडमार्क का हर उपयोग उल्लंघन हो’

आनंद और आनंद के एसोसिएट पार्टनर सिद्धांत चमोला ने कहा कि कानून ने यह तय करने के लिए मानदंड निर्धारित किए हैं कि ट्रेडमार्क का उल्लंघन हुआ है या नहीं। यह जरूरी नहीं है कि ट्रेडमार्क का हर उपयोग उल्लंघन हो।

चमोला ने कहा कि भारतीय ट्रेडमार्क कानून में, उल्लंघन का निर्धारण यह देखने से होता है कि क्या एक औसत उपभोक्ता दो संस्थाओं के बीच भ्रमित हो सकता। आसान शब्दों में कहें तो यदि ‘मेक माई शो’ नामक एक काल्पनिक वेबसाइट एमएमटी के कीवर्ड का उपयोग करती है तो इससे उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा होता और यह उल्लंघन होता।

हाई कोर्ट का आदेश यह दर्शाता है कि तीसरे पक्ष के ट्रेडमार्क का उपयोग AdWords (Google की विज्ञापन प्रणाली) बोली में किया जा सकता है। हालांकि शर्त यह है कि इससे प्रायोजित लिंक और प्रदर्शित विज्ञापनों के बारे में कोई भ्रम न हो और  उपयोगकर्ताओं को गुमराह न किया जाए।

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अधिवक्ता शशांक अग्रवाल ने कहा कि कोई किसी ऐसे कीवर्ड के लिए Google विज्ञापन का भुगतान कर सकता है, जो किसी अन्य कंपनी का ट्रेडमार्क भी हो सकता है। हालांकि, जब तक संबंधित ट्रेडमार्क के उपयोग में कोई भ्रम या धोखा नहीं है, तब तक कोई उल्लंघन नहीं होगा।

14 दिसंबर को कोर्ट ने सुनाया फैसला

गौरतलब है कि 14 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एमएमटी और गूगल से जुड़े मामले पर फैसला सुनाया था। यह निर्णय जून 2022 के आदेश से उत्पन्न अपीलों में पारित किया गया था, जिसमें एक न्यायाधीश ने बुकिंग.कॉम को एमएमटी के ट्रेडमार्क पर Google AdWords बोली लगाने से रोक दिया था। खंडपीठ ने अब उस आदेश को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट की पीठ ने अपने फैसले के लिए धारा 29(2), 29(4), 29(8) और 29(7) सहित ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 के प्रावधानों पर विचार किया था।

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News24 हिंदी

First published on: Dec 19, 2023 04:24 PM

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