2005 Cash For Query Case: कैश फॉर क्वेरी केस में एक्शन लेते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने आज Mahua Moitra की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। उन पर एक बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया और लोकसभा स्पीकर को शिकायत दी। शिकायत Ethics Committee के पास पहुंची और कमेटी ने आज लोकसभा में अपनी जांच रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के आधार पर एक्शन लिया गया और Mahua Moitra को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। इस मामले में काफी बवाल हुआ। Mahua Moitra ने एथिक्स कमेटी पर दुर्व्यवहार के आरोप तक लगाए, लेकिन इस पूरे विवाद ने उस कैश फॉर क्वेरी केस की याद दिला दी, जो 18 साल पहले हुआ था और जिसने 11 सांसदों की लोकसभा-राज्यसभा सदस्यता रद्द करा दी थी। जानिए क्या हुआ था…
VIDEO | “I am 49 years old, I will fight you for the next 30 years inside Parliament, outside Parliament,” says TMC leader @MahuaMoitra after Lok Sabha expelled her from the House, adopting Ethics Committee recommendation in ‘cash-for-query’ matter.
Earlier, Opposition members… pic.twitter.com/xprZDxKIW2
---विज्ञापन---— Press Trust of India (@PTI_News) December 8, 2023
एक वेब पोर्टल ने किया था स्टिंग ऑपरेशन
2005 के कैश फॉर क्वेरी केस ने न सिर्फ 11 सांसदों की सदस्यता रद्द हुई थी, बल्कि उन्हें क्रिमिनल केस का सामना भी करना पड़ा था। उस समय केंद्र में कांग्रेस नेता डॉक्टर मनमोहन सिंह की UPA सरकार थी। 12 दिसंबर 2005 को एक निजी चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन में सांसदों को सवाल पूछने के बदले पैसे लेते हुए दिखाया। कुछ पत्रकारों ने प्लानिंग के तहत फर्जी संस्था बनाकर सांसदों से मुलाकात की और संस्था की ओर सवाल पूछने का ऑफर सांसदों को दिया। सांसदों ने सवाल पूछने के बदले पैसे मांगे और पत्रकारों ने उन्हें पैसे लेते हुए अपने कैमरे में कैद कर लिया। सबसे कम 15 हजार रुपये भाजपा के छत्रपाल सिंह लोढ़ा को ऑफर हुए थे। सबसे ज्यादा एक लाख 10 हजार रुपये RJD सांसद मनोज कुमार को ऑफर हुए थे।
my speech on the steps of parliament today pic.twitter.com/pe0MyJf3Af
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) December 8, 2023
स्टिंग करने वाले पत्रकारों पर दर्ज हुआ था केस
24 दिसंबर 2005 को एथिक्स कमेटी ने रिपोर्ट पेश की। उसी दिन संसद में वोटिंग कराई गई। प्रणब मुखर्जी ने निष्कासन का प्रस्ताव रखा था। राज्यसभा ने पूर्व PM मनमोहन सिंह ने एक सांसद को निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा। वोटिंग के बाद भाजपा ने वाकॅआउट किया। विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सांसद बेशक भ्रष्टाचारी हैं, लेकिन निष्कासन बहुत कठोर सजा है। निष्कासन का विवाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जिसका फैसला जनवरी 2007 में आया। सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों के निष्कासन को सही ठहराया। 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस मामले में केस दर्ज का आदेश दिया। स्टिंग ऑपरेशन करने वाले 2 पत्रकारों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था।
लेटेस्ट खबरों के लिए फॉलो करें News24 का WhatsApp Channel
6 भाजपा, 3 बसपा, 2 कांग्रेस सांसद हुए निष्कासित
- वाई जी महाजन (BJP)
- छत्रपाल सिंह लोढ़ा (BJP)
- अन्ना साहेब एमके पाटिल (BJP)
- मनोज कुमार (RJD)
- चंद्र प्रताप सिंह (BJP)
- राम सेवक सिंह (कांग्रेस)
- नरेंद्र कुमार कुशवाहा (BSP)
- प्रदीप गांधी (BJP)
- सुरेश चंदेल (BJP)
- लाल चंद्र कोल (BSP)
- राजा राम पाल (BSP)
Edited By