Madras High Court verdict two finger test on rape survivors: मद्रास हाईकोर्ट ने रेप पीड़िताओं के मेडिकल टेस्ट से जुड़े एक मामले में कड़ी चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि जो डॉक्टर रेप पीड़िताओं का टू-फिंगर टेस्ट करना जारी रखेंगे, उन्हें भी दोषी माना जाएगा। न्यायमूर्ति एसएस सुंदर और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की पीठ ने बलात्कार के एक मामले में मेडिको-लीगल परीक्षा रिपोर्ट को लेकर अपनी टिप्पणी की। जिसमें टू-फिंगर टेस्ट किया गया था।
टेस्ट का कोई साइंटिफिक आधार नहीं
टू-फिंगर टेस्ट से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताई है। गौरतलब है कि इस तरह के टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है। कोर्ट ने कहा था कि बलात्कार का निर्धारण करने के लिए टू-फिंगर टेस्ट स्वीकार्य नहीं है। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर डॉक्टर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत इस तरह के टेस्ट करेंगे तो उन्हें भी कदाचार का दोषी माना जाएगा। अदालत ने डॉक्टरों को ऐसे परीक्षण करने के प्रति आगाह किया था, और इस बात पर जोर दिया था कि ऐसे टेस्ट का कोई साइंटिफिक आधार नहीं है और वे बलात्कार पीड़िताओं को अतिरिक्त आघात का शिकार बनाते हैं।
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"अगर डॉक्टर ने रेप पीड़िता का टू फिंगर टेस्ट किया तो उन्हें भी ग़लत काम करने का दोषी माना जाएगा"
◆ मद्रास हाईकोर्ट का बयान #MadrasHighCourt | Madras High Court | #Rape pic.twitter.com/irJtMafaq4
— News24 (@news24tvchannel) November 24, 2023
टू-फिंगर टेस्ट पीड़िताओं को पहुंचाते हैं आघात
बता दें कि अप्रैल 2022 में मद्रास उच्च न्यायालय ने टू-फिंगर टेस्ट पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश जारी किए थे। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे टेस्ट रेप पीड़िताओं की गोपनीयता, शारीरिक और मानसिक अखंडता और गरिमा का उल्लंघन करते हैं। इस तरह के टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के टेस्ट के जरिए महिलाओं को फिर से आघात पहुंचता है।
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जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट की चेतावनियों से पहले रेप पीड़िताओं की जांच के लिए डॉक्टर टू-फिंगर टेस्ट करते थे। इससे महिलाओं को अतिरिक्त आघात झेलना पड़ा, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट को एक मामले की सुनवाई के दौरान ऐसे टेस्ट पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।
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