Madhya Pradesh Army Major and Traffic police Fight: मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में आर्मी ऑफिसर और ट्रैफिक पुलिस के बीच कहासुनी हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि आर्मी अफसर ने ट्रैफिक पुलिस को करारा तमाचा तक जड़ दिया। तभी एक अंजान शख्स ने आर्मी ऑफिसर को बिना नंबर प्लेट वाली कार में बिठाया और वहां से लेकर फरार हो गया। आर्मी ऑफिसर की किडनैपिंग के कयास लगाए जाने लगे। हालांकि जब सच्चाई सामने आई तो सबके होश उड़ गए।
इनोवा ने मारी टक्कर
दरअसल गुरुवार की रात 8 बजे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का काफिला MITS कॉलेज के पास से गुजरने वाला था। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस ने सारा ट्रैफिक रोक दिया। इसी बीच आर्मी में मेजर की पोस्ट पर तैनात जवान अपने परिवार के साथ घूमने निकले थे। मेजर सादे कपड़े में थे, इसलिए उन्हें पहचानना मुमकिन नहीं था। मेजर की कार को अचानक एक इनोवा से टक्कर मारी। जब मेजर ने इनोवा गाड़ी का पीछा किया, तो आगे ट्रैफिक पुलिस ने उन्हें रोक लिया।
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ट्रैफिक पुलिस ने रोका
मेजर और ट्रैफिक पुलिस में बहस शुरू हो गई। बात इतनी बढ़ी की मारपीट की नौबत आ गई। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि मेजर ने उन्हें जोरदार थप्पड़ जड़ा था। इसी बीच सादे कपड़ों में एक और शख्स कार से आया, उसकी कार पर नंबर प्लेट नहीं थी। उस अंजान शख्स ने दोनों की सुलह करवाई और मेजर को अपने साथ गाड़ी में बिठाकर चला गया।
किडनैपिंग के लगे कयास
मेजर के परिवार ने किडनैपिंग का आरोप लगाते हुए मंत्री प्रधुमान सिंह तोमर के घर का घेराव कर लिया। सैनिक वेलफेयर सोसाइटी ने भी धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस की जांच में सामने आया कि वो अंजान शख्स कोई और नहीं बल्कि क्राइम ब्रांच का अधिकारी था और मेजर उसके साथ सुरक्षित हैं।
ऐसे हल हुआ मामला
मंत्री प्रधुमान सिंह तोमर ने एसपी और ऑर्मी ऑफिसर्स के साथ बैठक बुलाई। ग्वालियर के आईजी के साथ 2 घंटे की मीटिंग के बाद मामला हल हुआ। ग्वालियर के एसपी धर्मवीर यादव के अनुसार एक गलतफहमी के कारण बात इतनी बढ़ गई। हमनें आर्मी ऑफिसरों को विश्वास दिलाया है कि ऐसा फिर कभी नहीं होगा।
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