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पाकिस्तानी हमले को सेना ने कैसे किया विफल? स्वर्ण मंदिर में सेना की तैनाती पर लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान ने किया खुलासा

Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेना की तैनाती को लेकर खुलासा किया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद की गईं। ऐसा दुश्मन के ड्रोन को सटीकता से ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया गया था। इससे सेना को ड्रोन की पहचान करने और आसानी से उन्हें निशाना बनाने में मदद मिली।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 19, 2025 22:52
Golden Temple, Operation Sindoor, Lt. Gen Sumner Ivan D'Cunha।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान द्वारा स्वर्ण मंदिर पर हमले को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान ने दी बड़ी जानकारी।

भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पाकिस्तान की नापाक हरकतों को लेकर एक और खुलासा हुआ है। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने बताया कि पाकिस्तान ने स्वर्ण मंदिर पर ड्रोन हमला करने की कोशिश की थी। इन हमलों को रोकने के लिए स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने परिसर के भीतर एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी थी।

क्या कहा लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान ने?

भारतीय सेना के वायु रक्षा प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने सोमवार को खुलासा करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वर्ण मंदिर के प्रबंधन ने भारतीय सेना को पाकिस्तान से संभावित ड्रोन और मिसाइल खतरों का मुकाबला करने के लिए मंदिर के भीतर एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी थी। उन्होंने बताया कि सेना को आशंका थी कि पाकिस्तान अपने ड्रोन एवं मिसाइल के जरिए स्वर्ण मंदिर पर हमला कर सकता है। न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ खास बातचीत में सेना के अधिकारी ने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद की गईं। ऐसा दुश्मन के ड्रोन को सटीकता से ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया गया। इससे सेना को ड्रोन की पहचान करने और आसानी से उसे गिराने में मदद मिली।

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स्वर्ण मंदिर प्रशासन ने किया पूरा सहयोग

उन्होंने कहा कि चूंकि पाकिस्तान के पास कोई वैध लक्ष्य नहीं था, इसलिए हमारा अनुमान था कि वह भारत के अंदर अराजकता का माहौल उत्पन्न करने के लिए नागरिक आबादी और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाएगा। इसके बाद हमने स्वर्ण मंदिर प्रशासन को खतरे की गंभीरता के बारे में बताया और उनके अभूतपूर्व सहयोग के कारण ही दुश्मन के मंसूबों को नाकाम किया जा सका। उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात रही कि गोल्डेन टेंपल के मुख्य ग्रंथी ने हमें वहां अपना सिस्टम लगाने की इजाजत दे दी। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने स्थानीय आबादी, खासकर सेवानिवृत्त सैनिकों से मिले जबरदस्त समर्थन की भी प्रशंसा की, जिसने नागरिकों के मजबूत राष्ट्रीय चरित्र और देशभक्ति को प्रदर्शित किया।

रूस-यूक्रेन युद्ध ने सिखाई ड्रोन की क्षमता

ड्रोन हमलों को विफल करने के लिए भारतीय रक्षा बलों की तैयारियों के सवाल पर डीजी आर्मी एयर डिफेंस लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने कहा, ‘रूस-यूक्रेन संघर्ष और यहां तक ​​कि कुछ हद तक इजरायल के मौजूदा संघर्ष ने हमें ड्रोन की विशाल क्षमता के बारे में सिखाया है। हमने महसूस किया कि पाकिस्तान, तुर्की और शायद उत्तरी विरोधी से अपने बैकएंड समर्थन के माध्यम से ड्रोन हासिल कर सकता है। हम यह भी जानते थे कि हमारे पास मौजूद एयर डिफेंस इंटिग्रेटेड सिस्टम का मुकाबला करने के लिए उन्हें (पाकिस्तान) हमें सैचुरेटेड करना होगा। इसलिए यदि आप उनके रोजगार की अवधारणा को देखें तो वे (पाकिस्तान) पहले आपके रडार को सैचुरेटेड करने के लिए बड़ी संख्या में कम ऊंचाई वाले सस्ते ड्रोन भेजेंगे और वे आपको अपने रडार खोलने के लिए भी मजबूर करेंगे। हमने इसका अनुमान लगाया था और 26, 27 और 28 अप्रैल को हमने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने सेना प्रमुख के कहने पर एक सिमुलेशन अभ्यास किया था। इस दौरान हमने हथियार प्रणाली पर ड्रोन हमलों का अनुकरण किया।’

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पाकिस्तान ने अपने नागरिकों को बनाया ढाल

लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने कहा कि हमारा देश किसी भी रूप में नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाता है। उन्हें पता था कि हम उनके विमान को मार गिराने की कोशिश नहीं करेंगे। संघर्ष में पहली चीज जो आप करते हैं, वह यह सुनिश्चित करना है कि आपका हवाई क्षेत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए बंद हो, लेकिन उन्होंने ऐसा कभी नहीं होने दिया। उन्होंने इन विमानों को उड़ने दिया और मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा सबक है, जिसे हमें सीखना चाहिए।

हमने रेड टीमिंग का उपयोग किया

लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने कहा कि रेड टीमिंग एक बहुत ही दिलचस्प अवधारणा है। अमेरिका इसका इस्तेमाल करता है। इजरायल ने कुछ हद तक इसका इस्तेमाल किया। हमने रेड टीमिंग का उपयोग करना शुरू कर दिया है। यह एक आकर्षक अवधारणा है, जो आपके द्वारा की जाने वाली किसी भी कार्रवाई को चुनौती देती है ताकि आप यह समझ सकें कि उस कार्रवाई के परिणाम क्या हो सकते हैं। यदि आप कोई कार्रवाई करते हैं तो अगले चरण के लिए कैसे तैयार रहना है और आज सेना में यही होता है। हमने इसे हाल ही में वर्तमान सेनाध्यक्ष के नेतृत्व में शुरू किया है और पिछले चीफ के दौरान भी रेड टीमिंग की यह अवधारणा सामने आई थी। अब हम इस रेड टीमिंग का प्रभावी ढंग से पालन कर रहे हैं। इस विशेष अभियान में भी हमने रेड टीमिंग का उपयोग किया।

First published on: May 19, 2025 10:43 PM

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