जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है और तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन कर दिया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के जज और कानूनविद शामिल हैं। इस कमेटी में बी. वी. आचार्य, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस मनिंदर का नाम शामिल है।
लोकसभा स्पीकर ने कहा कि 31 जुलाई को मुझे सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष की तरफ से 146 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव दिया गया था, जिसमें भारत के राष्ट्रपति से इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव है। ये सदन संकल्प करता है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कदाचार के लिए पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति के पास समावेदन प्रस्तुत किया जाए।
लोकसभा स्पीकर ने बताया कि समिति के सदस्यों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य शामिल हैं। समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने तक प्रस्ताव लंबित रहेगा।
क्या है न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का विवाद?
7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा की याचिका को खारिज कर दी थी, इसमें उन्होंने आंतरिक जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी, इस रिपोर्ट में उन्हें कदाचार का दोषी पाया गया था। न्यायालय ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा ने प्रक्रिया के दौरान कोई आपत्ति नहीं जताई थी सुनवाई के दौरान पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि न तो रिपोर्ट और न ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई सिफारिश असंवैधानिक थी।
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न्यायमूर्ति वर्मा को संसद में होने वाली किसी भी महाभियोग कार्यवाही के दौरान अपना बचाव करने की अनुमति दी गई। बता दें कि14 मार्च को दिल्ली में न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लग गई थी, जिसके बाद आग बुझाने पहुंचे कर्मियों को उनके घर में जले हुए नोट मिले थे। जिसके बाद से ही उन्हें हटाने की मांग उठ रही थी।