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देशभर की अदालतों में 5 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग, कानून मंत्री ने संसद में किए चौंकाने वाले खुलासे

Law Minister Arjun Ram Meghwal answer loksabha 5 Crore Cases Pending in India: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में भारत की कानून व्यवस्था को लेकर जवाब दिया। उन्होंने बताया कि देश भर में पांच करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग में हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट में 80 हजार मामले लंबित हैं।

Author Edited By : khursheed Updated: Jan 30, 2024 15:54
देशभर की अदालतों में 5 करोड़ केस पेंडिंग, सुप्रीम कोर्ट के मामलों को लेकर कानून मंत्री ने संसद में दिया जवाब

Law Minister Arjun Ram Meghwal answer loksabha 5 Crore Cases Pending in India: देशभर की अदालतों में 5 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट में 80 हजार ऐसे केस हैं, जिन पर अभी तक कोई फैसला नहीं आया है, यानी देश के सर्वोच्च न्यायालय में 80 हजार मामले पेंडिंग पड़े हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने देश की अदालतों की न्याय व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में इस बात की जानकारी दी है।

1 दिसंबर तक 5,08,85,856 लंबित

केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में जवाब दिया कि 1 दिसंबर तक 5,08,85,856 लंबित मामलों में से 61 लाख से अधिक 25 उच्च न्यायालयों के स्तर पर हैं, जबकि जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4.46 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम ने अब तक 201 न्यायाधीशों की रिक्तियां भरने की अनुशंसा नहीं की गई है।

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यह जानकारियां भी सेशन में दी गईं

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा भेजे गए 123 प्रस्तावों में से 81 सरकार के स्तर पर प्रक्रिया के विभिन्न चरण में हैं। वहीं शेष 42 प्रस्ताव उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम के विचाराधीन हैं। 201 रिक्तियों के संबंध में उच्च न्यायालय के कॉलेजियम से सिफारिशें अभी नहीं मिली हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 26,568 है और शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है और उच्च न्यायालयों में यह आंकड़ा 1,114 न्यायाधीशों का है। जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 25,420 है।

देश की अदालतों में केस पेंडिंग होने के कई कारण बताए जाते हैं। जिसमें वकीलों की मौत और जजों की कमी होने के साथ-साथ मामलों का ट्रांसफर जैसे कारण शामिल हैं। पीड़ित व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते वकीलों को फीस देने में समर्थ नहीं होते हैं, जिसके चलते मामला लंबित हो जाता है।

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(daveseminara.com)

First published on: Dec 15, 2023 11:38 PM

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