World Meteorological Organization Prediction: गर्मी और बारिश की तरह इस बार भारत में बहुत ज्यादा सर्दी पड़ने की भविष्यवाणी हुई है। हालांकि भारतीय मौसम विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) ने भविष्यवाणी की है कि इस साल ला नीना के प्रभाव से भारत में सामन्य से ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना है। इस साल के आखिर तक ला नीना के एक्टिव होने की 60 फीसदी संभावना है। अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच ला नीना एक्टिव होगा। इसे उत्तर भारत में कड़ाके की हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ेगी। ला नीना का मतलब है मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में बहुत बड़े स्तर पर गिरावट होना है। इससे उष्णकटिबंधीय वायुमंडल बनेगा। हवा के रुख, साइक्लोनिक सर्कुलेशन और बारिश की स्थितियों में भी बदलाव आएगा।
The World Meteorological Organization (WMO) currently estimates a 60% probability of a La Niña event developing, with the Climate Prediction Center (CPC) suggesting slightly higher odds as we head into the winter season.
La Niña typically shifts the jet stream northward,… pic.twitter.com/TcTYhPrkik
---विज्ञापन---— Dr. Simona Seastrand, PhD (@SimonaSeastrand) September 11, 2024
लंबे समय तक मानसून की मौजूदगी ला नीना का कारण
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) की ओर से सितंबर महीने में यह भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन अब इस भविष्यवाणी की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि भारत में इस बार मानसून की वापसी 15 अक्टूबर को हुई है और आखिरी तक बारिश का दौर जारी रहा। इसी बीच उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप शुरू हो गया। यही देरी ला नीना के एक्टिव होने का कारण बनेगी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का भी पूर्वानुमान है कि इस बार पहाड़ों पर दिसंबर महीने की बजाय नवंबर महीने में ही बर्फबारी होगी। समुद्र तटीय इलाकों में उत्तर पूर्वी मानसून के बादल जमकर बरसेंगे। इसके चलते मैदानी इलाकों में, खासकर उत्तर भारत में एकदम से कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इस ठंड का असर नवंबर खत्म होते-होते पूरे भारत में देखने को मिलेगा। दिसंबर-जनवरी में पूरे भारत में सामान्य से ज्यादा ठंड देखने को मिल सकती है।
The World Meteorological Organization Predicts 60% Likelihood of La Niña Emerging by End of 2024 pic.twitter.com/vSZOkM4dAE
— Al-Estiklal English (@alestiklalen) September 12, 2024
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ा वैश्विक तापमान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर से नवंबर के बीच न तो अल नीनो एक्टिव था और न ही ला नीना एक्टिव हुआ, लेकिन मानसून की वापसी में देरी अक्तूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच ला नीना के एक्टिव होने के हालात बना रही है। अल नीनो के फिर से एक्टिव होने की संभावना न के बराब है। WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो कहते हैं कि नीना और अल नीनो जैसे मौसमी चक्र मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का परिणाम हैं। इससे वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। मौसमी बारिश और तापमान के पैटर्न पर इसका असर पड़ रहा है।
💧 2023 was the driest year for global rivers in over three decades
🌡️ 2023 was also recorded as the hottest year on record
We need better monitoring & data sharing. We need #EarlyWarningsforAll to tackle water-related hazards.
🔗https://t.co/DtgJoHhtnK#StateOfWater pic.twitter.com/dV4jRjvnyu
— World Meteorological Organization (@WMO) October 14, 2024