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अरूणा शानबाग केस क्या? जिसका कोलकाता रेपकांड की ‘सुप्रीम’ सुनवाई में जिक्र, फिल्म भी बनी

Kolkata Rape Murder Case Aruna Shanbaug Story: कोलकाता रेप मर्डर केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 5 दशक पुराने अरूणा शानबाग केस का जिक्र किया। 1973 में मुंबई के एक अस्पताल में नर्स के साथ हुई दर्दनाक दास्तां ने सभी के होश उड़ा कर रख दिए थे।

Edited By : Sakshi Pandey | Updated: Aug 21, 2024 13:40
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Aruna Shanbaug Case

Kolkata Rape Murder Case Aruna Shanbaug Story: कोलकाता रेप मर्डर केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत की दास्तां सुनकर हर किसी की रूह कांप जाती है। मगर क्या आप जानते हैं कि 51 साल पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसने देश में भूचाल ला दिया था। बस फर्क इतना है कि इस बार डॉक्टर दरिंदगी का शिकार थी और तब एक नर्स के साथ हैवानियत हुई थी। इस केस को याद करके आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं क्या थी कहानी अरूणा शानबाग की?

25 साल की नर्स का बलात्कार

यह 70 के दशक की है, जब एक रेप केस ने पूरे देश में हाहाकार मचा दिया था। मुंबई के केईएम अस्पताल में काम करने वाली 25 साल की नर्स अरूणा शानबाग को एक वॉर्ड बॉय ने अपनी हवस का शिकार बनाया और सबूत मिटाने के लिए बेल्ट से उसका गला घोंट दिया। बुरी तरह से चोटिल अरूणा को तब मौत भी नसीब नहीं हुई और वो 42 साल तक जिंदा लाश बनकर अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी रहीं।

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गला घोंटने के बावजूद जिंदा बची अरूणा

1967 में मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अरूणा शानबाग केईएम हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग का हिस्सा बनी। 1973 में उनकी सगाई अस्पताल के ही डॉक्टर संदीप सरदेसाई से हुई। 1974 की शुरुआत में अरूणा और संदीप की शादी होने वाली थी। मगर शादी से ठीक एक महीने पहले अरूणा उसी अस्पताल में हैवानियक का शिकार हो गईं। 27 नंवबर 1973 की रात वॉर्ड अटेंडेंट सोहनलाल भरत वाल्मिकी ने बड़ी बेरहमी के साथ अरूणा का रेप किया और सबूत खत्म करने के लिए उनका गला घोंट दिया। मगर उसे क्या पता था कि अरूणा जिंदा बच जाएंगी। अरूणा जिंदा तो रहीं लेकिन वो कोमा में चली गईं।

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2015 में कहा दुनिया को अलविदा

अरूणा शानबाग 42 साल तक कोमा में रहीं। कई लोगों ने अरूणा के लिए सुप्रीम कोर्ट से इच्छामृत्यु की मांग की। मगर सुप्रीम कोर्ट ने अरूणा को इच्छामृत्यु देने से इनकार कर दिया। 42 साल बाद 2015 में अरूणा ने उसी अस्पताल के बिस्तर पर दम तोड़ दिया। हैरानी की बात तो यह है कि आरोपी शख्स को सिर्फ 7 साल की सजा हुई और फिर वो जमानत पर रिहा हो गया।

आरोपी को मिली सिर्फ 7 साल की सजा

अरूणा के आरोपी ने नाम और पहचान बदलकर दूसरे अस्पताल में नौकरी करनी शुरू कर दी। हालांकि उसने अपने इंटरव्यू में कहा था कि मुझे नर्स अरूणा के साथ अपने किए पर बहुत पछतावा है। मैं भगवान से भी इसकी माफी मांगता हूं। मेरी एक बेटी थी, जो मर गई। भगवान ने मुझे मेरे किए की सजा दे दी।

अरूणा पर बनी फिल्म

पिछले 51 सालों में अरूणा शानबाग की जिंदगी पर किताबें लिखी गईं और फिल्में भी बनी। अरूणा शानबाग पर आधारित किताब का नाम ‘अरूणाज स्टोरी’ है। तो 2014 में रिलीज हुई मलयालम फिल्म ‘मरम पेयुम्बोल’ उन्हीं की कहानी पर आधारित है। इसके अलावा सोनी टीवी के शो क्राइम पेट्रोल में भी अरूणा की कहानी दिखाई जा चुकी है।

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Written By

Sakshi Pandey

First published on: Aug 21, 2024 01:40 PM

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