Political Fight Between Centre And Kerala : कुवैत में लगी भीषण आग में जान गंवाने वाले 45 भारतीयों के परिवार शोक में डूबे हुए हैं। इसी बीच केरल सरकार और केंद्र के बीच राजनीतिक जंग की शुरुआत हो गई है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज (Veena George) को कुवैत जाने की अनुमति देने से विदेश मंत्रालय ने इनकार कर दिया। जॉर्ज ने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र के इस कदम ने गलत संदेश भेजा है। इस रिपोर्ट में जानिए कि आखिर इस मामले में असल में क्या हुआ और केंद्र सरकार से इसका क्या वास्ता है।
गुरुवार की दोपहर वीणा जॉर्ज और नेशनल हेल्थ मिशन के राज्य निदेशक जीवन बाबू आईएएस कोच्चि के नेदुंबस्सेरी एयरपोर्ट पहुंचे थे। दोनों कुवैत के मंगाफ शहर में लगी भयंकर आग को लेकर कुवैत जाना चाहते थे, जिसमें 45 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई थी। लेकिन, क्लीयरेंस न मिलने के कारण जॉर्ज को अपना प्लान रद्द करना पड़ा। रिपोर्ट्स के अनुसार चेक-इन टाइम के बाद केंद्र की अनुमति के लिए रात 8.30 बजे तक इंतजार किया। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार वीणा जॉर्ज ने कहा है कि केंद्र का यह फैसला इस समय आंसू बहा रहे मलयाली समुदाय के लिए गलत और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
केंद्र के फैसले पर क्या बोलीं वीणा?
वीणा जॉर्ज ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि आखिरी समय में हमें क्लीयरेंस मिल जाएगा। घायल हुए कई मलयाली कुवैत में विभिन्न अस्पतालों में हैं। उनमें से कुछ तो आईसीयू में हैं। उनके परिवार के लोग उनके साथ नहीं है। जॉर्ज ने यह भी कहा कि दूतावास ने हमें गंभीर रूप से घायल हुए लोगों की संख्या का एग्जैक्ट डाटा नहीं दिया है। जो डाटा हमने जुटाया है उसके अनुसार 7 लोग अस्पताल में भर्ती किए गए हैं जिनमें से 4 केरल के हैं। लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। मैं कुवैत इसलिए जाना चाहती थी ताकि घायल हुए लोगों का हाल जान सकूं और उनकी जरूरतों के केंद्र के ध्यान में ला सकूं।
Kerala Health Minister Veena George on being denied permission to travel pic.twitter.com/GzwzPvunRx
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क्या है क्लीयरेंस मिलने की प्रक्रिया?
यानी जॉर्ज क्लीयरेंस न मिलने से कुवैत नहीं जा पाईं। नियम कहते हैं कि मुख्यमंत्रियों और राज्य स्तरीय मंत्रियों की विदेश यात्राएं प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और कैबिनेट सचिवालय के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। जब कोई मंत्री यात्रा के लिए अनुरोध करता है तो पीएमओ एप्लीकेशन को विदेश मंत्रालय के पास भेजता है। वहां से इसे उस देश के भारतीय मिशन को भेजा जाता है जहां की यात्रा मंत्री करना चाहते हैं। इसके बाद विस्तृत जांच की जाती है। एक रिपोर्ट वापस विदेश मंत्रालय को भेजी जाती है। विदेश मंत्रालय रिपोर्ट और अपनी सिफारिश पीएमओ को भेजता है जो क्लीयरेंस पर आखिरी फैसला लेता है।
किसे कहां से लेनी होती है अनुमति?
2016 के बाद से क्लीयरेंस के लिए एप्लीकेशन ऑनलाइन भी भेजा जा सकता है। इसके लिए विदेश मंत्रालय की ओर से एक पोर्टल शुरू किया गया है। यहां एक ध्यान देने वाली बात यह है कि राज्य मंत्रियों को विदेश यात्रा के लिए आर्थिक मामलों के विभाग से भी क्लीयरेंस लेना पड़ता है। केंद्रीय मंत्रियों के लिए भी यह प्रक्रिया कुछ ज्यादा अलग नहीं है। हालांकि, उन्हें प्रधानमंत्री से एडिशनल क्लीयरेंस की जरूरत होती है जो यह बताता है कि उनकी यात्रा ऑफिशियल है या फिर निजी है। वहीं, लोकसभा के सदस्यों को विदेश यात्रा के लिए स्पीकर और राज्य सभा के सदस्यों को उप राष्ट्रपति से अनुमति लेनी होती है।