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कारगिल के दौरान ही मारे जाते परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ, कैसे बची थी दोनों की जान?

26 जुलाई को देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1999 के युद्ध के दौरान एक ऐसा भी दिन आया था जब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ भारतीय हमले के निशाने पर थे? पढ़ें कैसे बच गई थी इन दोनों की जान।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Jul 25, 2025 19:44
Kargil Vijay DIwas
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय पायलट के निशाने पर आ गए थे पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख

Kargil Vijay Diwas :  26 जुलाई को देश 26वां कारगिल विजय दिवस मना रहा है। यह दिन देश की विजय गाथा और इतिहास में गौरव की किरण की तरह चमकता है। यह दिन साल 1999 में भारत की शानदार विजय का प्रतीक है। 26 जुलाई का ही दिन था, जब लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों पर तिरंगा एक बार फिर शान से लहराया। यह सिर्फ एक तारीख नहीं है, यह सिर्फ एक वर्षगांठ नहीं, बल्कि हमारे सैनिकों के साहस और एकता का प्रतीक है। यह दिन उन सैनिकों और बहादुरों को नमन करने का है, जो बर्फीली, खतरनाक पहाड़ियों से होते हुए अपनी बहादुरी का प्रमाण दे चुके हैं और दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। क्या आपको पता है कि इस दौरान एक ऐसा भी मौका आया था, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारतीय सेना के निशाने पर आ गए थे?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ऐसे दस्तावेज सामने आए, जिनसे यह पता चलता है कि जिस बेस कैंप पर भारतीय सेना हमला करने वाली थी, वहां पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना प्रमुख मौजूद थे। हालांकि सेना ने यहाँ पर हमला नहीं किया, जिससे दोनों की जान बच गई थी।

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कैसे बची थी दोनों की जान?

दिन था 24 जून 1999, सुबह लगभग 8:45 बजे। भारत-पाकिस्तान का युद्ध अपने चरम पर था। इस दौरान भारतीय सेना के जगुआर लड़ाकू विमान ने LAC के पास उड़ान भरी और पाकिस्तान की सेना के अड्डे को टारगेट पर ले लिया। पहले विमान ने टारगेट सेट किया और उसके पीछे उड़ान भर रहे अन्य विमान को हमला करना था। हालांकि पीछे चल रहे विमान ने ‘लेजर बास्केट के बाहर’ (टारगेट से हटकर) हमला कर दिया और यह हमला पाकिस्तान सेना के कैंप पर नहीं हो पाया।

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दस्तावेजों के अनुसार, जगुआर CLDS (कॉकपिट लेजर डेजिग्नेशन सिस्टम) ने पॉइंट 4388 पर हमला किया। पायलट ने LAC के पार गुलटेरी पर लेजर से हमला किया था, लेकिन बम टारगेट तक नहीं पहुंच पाया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बम को लेजर बास्केट के बाहर छोड़ा गया था। बताया गया कि बाद में यह पता चला कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस हमले के समय गुलटेरी में ही मौजूद थे।

बताया गया कि जब भारतीय वायुसेना के जगुआर लड़ाकू विमान ने गुलटेरी बेस को निशाना बनाया, तो इस बात की जानकारी नहीं थी कि नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ वहीं मौजूद हैं। जगुआर के पायलट को एयर कमोडोर ने सलाह दी कि वह बम को वहां न दागे। इसके बाद पायलट ने बम को भारतीय क्षेत्र में ही गिरा दिया था। अगर यह फैसला न बदला गया होता, तो उस दिन पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख भी मारे गए होते।

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कहां है गुलटेरी?

गुलटेरी, जिसे गुलटारी भी कहा जाता है, यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से कुछ किलोमीटर पाकिस्तान की ओर स्थित है। यहां सेना का बेस था। कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सेना को यहां से ही हथियार पहुंचाए जा रहे थे। 24 जून को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख यहां पहुंचे थे। इसी दौरान सेना इस जगह पर हमला करने वाली थी, लेकिन अंत में यह हमला रोक दिया गया था।

First published on: Jul 25, 2025 07:44 PM

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