Karakat Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का आखिरी चरण नजदीक आने के साथ ही बिहार की काराकाट सीट का समीकरण दिलचस्प होता जा रहा है। पहले उपेंद्र कुशवाहा बनाम राजा राम सिंह की लड़ाई में भोजपुरी स्टार पवन सिंह की एंट्री देखने को मिली। तो अब AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी काराकाट में एक्टिव हो गए हैं। उन्होंने प्रियंका भारती को टिकट दिया है। खबरों की मानें तो काराकाट में ओवैसी की मौजूदगी पवन सिंह के लिए सबसे बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है।
काराकाट के प्रत्याशी
काराकाट का चुनावी समीकरण समझने से पहले प्रत्याशियों से रूबरू होना जरूरी है। बता दें कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। उपेंद्र कुशवाहा 2014 में भी काराकाट के सांसद रह चुके हैं। वहीं इंडिया गठबंधन ने राजा राम सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। पवन सिंह काराकाट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं तो ओवैसी की पार्टी ने प्रियंका भारती को अपना प्रत्याशी चुना है।
बिहार के काराकाट में क़ालीन (दरी) बनता है, आप क़ालीन बनाइए लेकिन किसी के लिए बिछाने का काम हरगिज़ मत करिए, क़ालीन अपनों के लिए बनाइए ग़ैरों के लिए नहीं। – बैरिस्टर @asadowaisi
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— AIMIM (@aimim_national) May 26, 2024
काराकाट का जातीय समीकरण
काराकाट में 18 लाख से ज्यादा वोटर हैं। 3 लाख यादव, ढाई लाख से ज्यादा मुस्लिम और कुर्मी मतदाता हैं। इसके अलावा डेढ़ लाख निषाद, 75 हजार ब्राह्मण और 50 हजार भूमिहार वोटर भी काराकाट में मौजूद हैं।
ओवैसी का पलड़ा भारी?
गौरतलब है कि AIMIM की प्रत्याशी प्रियंका भारती लंबे समय से बिहार की राजनीति से जुड़ी रही हैं। प्रियंका, निषाद समाज से ताल्लुक रखती हैं। ऐसे में 1.5 लाख निषाद और 2.5 लाख मुस्लिम मतदाताओं में से कई लोगों का समर्थन प्रियंका को मिल सकता है। वहीं काराकाट के राजपूत वोटर्स का झुकाव पवन सिंह की तरफ है। इसके अलावा युवाओं में भी पवन सिंह को लेकर काफी क्रेज देखने को मिल रहा है।
आपका विश्वास बेकार नहीं जायेगा। हम सब मिलकर नया इतिहास बनाएंगे और काराकाट लोकसभा क्षेत्र में बदलाव की नई कहानी लिखेंगे… #karakatjindabad pic.twitter.com/9Z7IiASk8S
— Pawan Singh (@PawanSingh909) May 25, 2024
बीजेपी को होगा फायदा?
AIMIM की एंट्री से पहले काराकाट में बीजेपी की सीट मुश्किल में दिख रही थी। मुस्लिम वोटर्स इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी राजा राम के समर्थन में थे तो पवन सिंह को राजपूत और युवाओं का साथ मिल रहा था। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा को घाटा हो सकता था। मगर अब परिस्थितियां काफी हद तक बदल गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रियंका भारती के आने से इंडिया गठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी होगी और पवन सिंह का वोट भी बंट सकता है। इसका सीधा फायदा उपेंद्र कुशवाहा को होने की उम्मीद है। हालांकि वास्तविक नतीजे तो 4 जून को ही सामने आएंगे।