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‘हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से करते हैं काम’, बोले जस्टिस अभय एस ओका, दिए कई सुझाव

SCBA कार्यक्रम में जस्टिस अभय एस. ओका ने सुप्रीम कोर्ट की संरचना, लिस्टिंग प्रक्रिया और ट्रायल कोर्ट की अनदेखी पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट अधिक लोकतांत्रिक ढंग से काम करते हैं। पढ़ें जस्टिस ओका का पूरा बयान।

Author Written By: Prabhakar Kr Mishra Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: May 23, 2025 22:46
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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं। हाईकोर्ट कमेटियों के जरिए काम करते हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट CJI केंद्रित कोर्ट है। इसमें बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताह मेरे लिए बहुत मुश्किल भरे रहे, क्योंकि कई फैसले लिखने थे।

उन्होंने कहा कि कई लोगों ने मुझसे पूछा कि जब मैं पद छोड़ता हूं तो कैसा लगता है? जजों को न्याय करने की स्वतंत्रता होती है और जब आप जज नहीं होते तो आपको वह स्वतंत्रता नहीं मिलती।  21 साल और 9 महीने के काल में मैं 3 संवैधानिक न्यायालयों का न्यायाधीश रहा। न्यायालय का पद जीवन बन जाता है और जीवन ही न्यायालय बन जाता है। शायद कुछ दिनों के बाद मैं अपने भविष्य के अगले कदम के बारे में तर्कसंगत रूप से सोच सकूं।

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न्यायपालिका में शामिल होने से संतुष्टि

जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि जब कोई सफल वकील जज बनता है तो कहते हैं कि व्यक्ति त्याग करता है। मैं इसे स्वीकार नहीं करता। जब आप न्यायपालिका में शामिल होते हैं, तो आपको वो इनकम तो नहीं मिल सकती लेकिन आपको जो काम से संतुष्टि मिलती है, उसकी तुलना वकील के इनकम से नहीं की जा सकती। एक बार जब आप जज बन जाते हैं तो केवल संविधान और विवेक ही आपको नियंत्रित करते हैं।

जस्टिस ओका ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की अनदेखी की है, हमारे ट्रायल और जिला न्यायालयों में बहुत ज्यादा  मामले लंबित हैं। ट्रायल और जिला न्यायालयों में लंबित मामलों को निपटाने के लिए एक समिति बनाई गई है। जस्टिस विक्रम नाथ और दीपांकर दत्ता इस समिति के सदस्य हैं। ट्रायल कोर्ट को कभी भी अधीनस्थ न्यायालय न कहें। यह संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है। 25 सालों से अपीलें लंबित हैं। इलाहाबाद जैसी अदालतें आधी संख्या में काम कर रही हैं। 20 साल बाद किसी को सजा देना मुश्किल भरा काम है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां हमें काम करना है। हमें ट्रायल कोर्ट और आम आदमी के बारे में भी सोचना चाहिए।

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हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से करते हैं काम 

उन्होंने कहा कि मैं कुछ सुझाव देना चाहूंगा, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं। हाईकोर्ट कमेटियों के जरिए काम करते हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट CJI केंद्रित कोर्ट है। इसमें बदलाव की जरूरत है। आप नए CJI के साथ यह बदलाव देखेंगे। मामलों में ऑटो लिस्टिंग सिस्टम की जरूरत है, हाईकोर्ट में एक निश्चित रोस्टर होता है। इसमे चीफ जस्टिस को भी विवेकाधिकार नहीं मिलता। जब तक हम मैन्युअल इन्टरफेरेंस को कम कम नहीं कर देते, तब तक हम बेहतर लिस्टिंग नहीं कर सकते। लिस्टिंग तर्कसंगत होनी चाहिए।

इस मौके पर बोलते हुए SCBA के पूर्व प्रेसिडेंट कपिल सिब्बल ने कहा कि जस्टिस ओका ने देश के महान न्यायाधीशों में अपना स्थान बनाया है। उनको उनकी स्पष्टवादिता और पारदर्शिता के लिए याद किया जाएगा। जब सुप्रीम कोर्ट का इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें एक चैप्टर ग्रैंड ओका पर होगा। SCBA के नवनिर्वाचित प्रेसिडेंट विकास सिंह कहा कि जस्टिस ओका का देखते हुए मैं कह सकता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के जज के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल नहीं होनी चाहिए। यह विद्वता और प्रतिभा की बर्बादी है।

First published on: May 23, 2025 10:03 PM

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