जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के बनी में करीब 300 की आबादी वाले गांव घाट (Ghats) और घत्था (Gatha) के ग्रामीण खासकर स्कूली बच्चे, झूला पुल से जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार करने को मजबूर हैं। यहां के स्थानीय निवासी और स्कूली बच्चे आज भी रस्सी के झूले के सहारे सेवा नदी पार करते हैं। बरसात के बाद नदी उफान पर होने के कारण अब रस्सी मौत का कारण बन गई है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से पुल बनवाने की मांग भी की है, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस इलाके के हालात आज भी पुराने जमाने जैसे ही हैं, जहां लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं।
आजादी के बाद भी हालात जस के तस
आजादी के 78 साल बाद भी जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के बनी उप-मंडल के दो गांव-घाट और घत्था गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। आज भी इन गांवों के निवासी तेज बहती सेवा नदी को एक पुराने रस्सी के झूले से पार करते हैं। यह झूला न केवल पुराना और घिसा-पिटा है, बल्कि मानव जीवन के लिए लगातार खतरा भी बना हुआ है।
Indian Army, SDRF, Police & local divers have conducted a coordinated Rescue operation to save a minor boy trapped amid rising waters of a flooded river in Rajouri (J&K).
Timely action and seamless coordination ensured safe evacuation. pic.twitter.com/KAHXeCR8gA
— PANKAJ SHARMA@news24tvchannel (@PANKAJNEWS241) July 23, 2025
स्कूली बच्चों को ज्यादा खतरा
स्कूल जाने वाले बच्चों को खास तौर पर खतरा होता है क्योंकि उन्हें स्कूल जाने के लिए हर रोज इस अस्थायी रस्सी के पुल का इस्तेमाल करना पड़ता है। मानसून के पूरे जोर पर होने की वजह से नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिससे यह रस्सी का पुल और भी खतरनाक हो गया है। बात साफ है एक छोटी सी चूक या कमजोर रस्सी जानलेवा दुर्घटना का कारण बन सकती है। क्योंकि नीचे नदी तेज धाराओं और नुकीली चट्टानों से भरी है।
Jammu And Kashmir: Kathua में बरसात के बाद उफान पर नदी, जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे बच्चे @news24tvchannel @JandKTourism @dmjammuofficial @KathuaPolice #Rain pic.twitter.com/j2UPKe4ppI
— Deepti Sharma (@DeeptiShar24006) July 25, 2025
स्थानीय लोगों का क्या कहना है
स्थानीय लोगों के मुताबिक, उन्होंने प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों से एक स्थायी पुल के लिए बार-बार अपील की है, लेकिन उन्हें सिर्फ खोखले वादे ही मिले हैं। एक निवासी ने बताया कि हम सालों से यही आश्वासन सुनते आ रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं बदला है। स्थानीय ग्रामीण ने कहा कि बच्चे स्कूल तो जाते हैं, लेकिन उनके माता-पिता हर दिन इस डर में रहते हैं कि कहीं झूला गिर न जाए। लोगों के अनुसार, क्या यही विकास है जिसका हमसे वादा किया गया है।
दूरदराज के पहाड़ी इलाके भी जूझ रहे हैं
यह संकट सिर्फ इन दो गांवों तक ही सीमित नहीं है और कई अन्य दूरदराज के पहाड़ी इलाके भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सड़क, बिजली, मेडिकल सुविधाओं और सुरक्षित नदी पार करने जैसी बुनियादी जरूरतों से वंचित हैं। इस खतरे वाले क्षेत्र से गुजरने वाले ग्रामीणों और छात्रों ने जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और विकास के सरकारी दावों की आलोचना की। जमीनी विकास की असली तस्वीर रोजाना बदकिस्मत निवासियों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हुए देखी जाती है।
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