S Jaishankar on Democracy: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर पश्चिमी देशों को लोकतंत्र पर आईना दिखाया है। विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों को उनके राजनीतिक निराशावाद पर ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र संकट में है और उन्होंने तर्जनी उंगली दिखाते हुए कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सही से काम कर रहा है।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में लोकतांत्रिक लचीलेपन पर एक पैनल चर्चा में भाग लेते हुए जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक लोकतंत्र खतरे में है भारत एक लोकतांत्रिक समाज है, जहां 80 करोड़ लोगों को पोषण मिलता है। उन्होंने कहा कि विश्व के कुछ देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है, जबकि कुछ देशों में ऐसा नहीं हो पाया है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह कोई सार्वभौमिक घटना है।
पैनल में किसने लिया हिस्सा?
म्यूनिख सिक्योरिटी काॅन्फ्रेंस में लोकतंत्र पर आयोजित बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, नार्वे की पीएम, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लाॅटकिन और वारसा के मेयर रफाल ट्रासकोव्यक ने हिस्सा लिया। विदेश मंत्री ने कहा कि मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं। मैं अभी अपने राज्य में चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूं। बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए 90 करोड़ मतदाताओं में से 70 करोड़ ने चुनावी प्रणाली में हिस्सा लिया। हम एक ही दिन में परिणाम घोषित करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब हमारे यहां रिजल्ट के बाद विवाद नहीं होता।
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अमेरिकी सीनेटर पर क्या बोले विदेश मंत्री?
विदेश मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र के लिए चुनौतियां भी हैं। अलग-अलग देशों में हालात अलग हैं कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है। भारत के आजादी के बाद ही लोकतंत्र के माॅडल को अपनाया है। पश्चिम के देश मानते हैं कि लोकतंत्र उनकी देन हैं। उन्होंने अमेरिकी सीनेटर एलिसा की खाने को लेकर की गई टिप्पणी पर कहा कि भारत हर महीने 80 करोड़ लोगों को पोषण की मदद कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि हो सकता है कि दुनिया के कुछ हिस्से में ऐसा नहीं हो रहा हो। मुझे लगता है कि लोगों के इस बारे में ईमानदारी से बात करनी चाहिए।
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