---विज्ञापन---

ISRO Moon Mission: चंद्रयान-3 लॉन्च को तैयार, चांद की सतह पर क्या खोजेगा रोवर, दक्षिणी ध्रुव क्यों है खास?

ISRO Moon Mission Live Update: भारत की स्पेस एजेंसी इसरो इतिहास रचने जा रही है। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है। शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए इसे स्पेस में भेजा जाएगा। चांद पर उतरने का […]

Edited By : Gyanendra Sharma | Updated: Jul 14, 2023 12:36
Share :
Chandrayaan-3

ISRO Moon Mission Live Update: भारत की स्पेस एजेंसी इसरो इतिहास रचने जा रही है। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है। शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए इसे स्पेस में भेजा जाएगा। चांद पर उतरने का ये इसरो की तीसरी कोशिश है।

पहले भी दो बार कोशिश कर चुका है इसरो

इसरो सबसे पहले साल 2008 में चंद्रयान-1 और 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च कर चुका है। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था। चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर भी थे। चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा, सिर्फ लैंडर और रोवर ही रहेंगे। चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन बताया जा रहा है। इसका मकसद भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। चंद्रयान-2 में विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी।

---विज्ञापन---

14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेगा रोवर 

भारत चांद की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाएगा। भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन चांद की सतह पर पहुंच चुका है। चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे जबकि प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी।

दक्षिणी ध्रुव क्यों है जरुरी?

चांद के दक्षिणी ध्रुव काफी ठंडा है। यहां के बारे में दुनिया के पास ज्यादा जानकारी नहीं है। चंद्रयान-2 भी दक्षिणी ध्रुव पर ही उतरने की कोशिश कर रहा था। कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। भारत के 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था। अगर चंद्रयान-3 के जरिए दक्षिणी ध्रुव पर पानी और खनिज की मौजूदगी का पता चलता है तो ये अंतरिक्ष विज्ञान के लिए बड़ी कामयाबी होगी।

---विज्ञापन---

चंद्रयान-3 अगर सही तरह से दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग कर लेता है तो ये ऐसा करने वाला दुनिया का पहला स्पेसक्राफ्ट बन जाएगा। चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी स्पेसक्राफ्ट भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे हैं।

 

HISTORY

Edited By

Gyanendra Sharma

First published on: Jul 14, 2023 10:28 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें