INS Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत के स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर दिवाली मनाई. इस दौरान उन्होंने गोवा के तट पर भारतीय नौसेना के जवानों के साथ समय बिताया. कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत की प्रशंसा करते हुए कि इस विमानवाहक पोत का नाम ही पाकिस्तान की ‘रातों की नींद हराम’ करने के लिए काफी है. भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों के मारे जाने के एक पखवाड़े बाद 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था.
भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत
2022 में नौसेना में शामिल होने वाला आईएनएस विक्रांत, भारत के उन विशिष्ट देशों के समूह में शामिल होने का प्रतीक है जो अपने खुद के विमानवाहक पोतों को डिज़ाइन और निर्माण करने में सक्षम हैं. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित, यह भारत की बढ़ती नौसैनिक और औद्योगिक ताकत को दर्शाता है. आईएनएस विक्रांत का नाम इसके महान पूर्ववर्ती के नाम पर रखा गया है. जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश की मुक्ति हुई. ‘विक्रांत’ नाम का अर्थ है “साहसी” या “विजयी”. नौसेना द्वारा ‘चलता-फिरता शहर’ के रूप में वर्णित, आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. जो लगभग दो फुटबॉल मैदानों के बराबर है और 18 मंजिल ऊंचा है. इसमें लगभग 1,600 लोगों का दल, 16 बिस्तरों वाला एक अस्पताल, 2,400 कम्पार्टमेंट और 250 ईंधन टैंकर हैं.
आईएनएस विक्रांत का पिछले साल शुरू किया गया पूर्ण परिचालन
यह विमानवाहक पोत मिग-29K लड़ाकू विमानों और विभिन्न हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों को संभाल सकता है. इसका हैंगर स्पेस अकेले ही दो ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल जितना बड़ा है. जिससे व्यापक उड़ान और रखरखाव के कार्य संभव हो पाते हैं. वर्षों के परीक्षणों और मंज़ूरी के बाद, आईएनएस विक्रांत का पिछले साल पूर्ण परिचालन शुरू किया गया. हाल में यह विमानवाहक पोत पश्चिमी नौसेना कमान के अधीन है, यह एक पूरी तरह से सक्षम युद्धपोत है. जो हिंद महासागर क्षेत्र में जटिल नौसैनिक अभियानों को संभालने के लिए तैयार है.
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