Indian Navy INS Battleship : भारतीय रक्षा के लिए 15 जनवरी एक ऐतिहासिक क्षण बनने वाला है। नौसेना तीन उन्नत लड़ाकू प्लेटफार्मों आईएनएस नीलगिरि, आईएनएस सूरत और आईएनएस वाग्शीर को कमीशनिंग करेगी। ये तीनों युद्धपोत नौसेना के बेड़े में शामिल होंगे, जिससे नौसेना की युद्ध क्षमता में और भी इजाफा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीनों युद्धपोत नौसेना को सौंपेंगे। आइए जानते हैं कि तीनों युद्धपोत की क्या है खासियत।
इसे लेकर कमांडर विवेक ने News 24 से विशेष बातचीत में बताया कि इन युद्धपोतों का निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में किया गया है, जो भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन में बढ़ती ताकत का प्रतीक है। युद्धपोतों में महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए खास व्यवस्थाएं की गई हैं।
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इंडो-पैसिफिक में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना
इन जहाजों की कमीशनिंग ऐसे समय में हो रही है, जब इंडो-पैसिफिक को समुद्री चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र में बढ़ते तनाव और बढ़ती नौसैनिक गतिविधि के साथ भारतीय नौसेना की बढ़ी हुई सतह एवं पानी के नीचे की क्षमताएं समुद्री मार्गों की सुरक्षा और विशेष रूप से चीन से संभावित खतरों का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। नीलगिरि, सूरत और वाग्शीर मिलकर एक मजबूत और आत्मनिर्भर नौसेना बल बनाए रखने की भारत की शक्ति को दिखा रहे हैं।
भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता बढ़ेगी
कमांडर विवेक के मुताबिक, यह ऐतिहासिक कार्यक्रम भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता को महत्वपूर्ण बढ़ावा देगा। साथ ही इससे स्वदेशी जहाज निर्माण में देश की प्रमुख स्थिति रेखांकित होगी। युद्धपोत निर्माण में भारत की यात्रा 1961 में आईएनएस अजय के निर्माण के साथ मामूली रूप से शुरू हुई थी। दशकों से एमडीएल और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स जैसे शिपयार्ड ने देश को उन्नत नौसैनिक प्लेटफार्मों के केंद्र में बदल दिया है। सात विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक और छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों की डिलीवरी समेत हाल की परियोजनाएं, समय सीमा और युद्ध की तैयारी में तेज सुधार को दिखा रहा है। यह प्रगति विदेशी डिजाइनों और प्रणालियों पर पहले की निर्भरता के विपरीत है। आज के युद्धपोत न केवल युद्ध के लिए तैयार हैं, बल्कि अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों को भी शामिल कर रहे हैं।
युद्धपोत निर्माण: आर्थिक और सामरिक लाभ
युद्धपोत निर्माण सैन्य शक्ति के प्रदर्शन से कहीं अधिक है। यह आर्थिक विकास को गति दे रहा है, तकनीकी सिस्टम को बढ़ावा देने के साथ ही इंडिस्ट्रियाल सिस्टम को भी मजबूत कर रहा है। भारत की मेक इन इंडिया पहल ने मैटल साइंस, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों में प्रगति को बढ़ावा दिया है, जिससे एक मजबूत रक्षा उत्पादन का निर्माण हो रहा है।
भारतीय नौसेना की शक्ति
नीलगिरि, सूरत और वाग्शीर का एक साथ कमीशनिंग होना भारतीय नौसेना और देश के समुद्री भविष्य के लिए एक निर्णायक क्षण है। यह न केवल हिंद महासागर में शक्ति प्रदर्शित करने की भारत की क्षमता को मजबूत करता है, बल्कि एक वैश्विक समुद्री खिलाड़ी के तौर पर अपनी ताकत को भी दिखा रहा है। उन्नत जहाजों के बढ़ते बेड़े और एक मजबूत घरेलू जहाज निर्माण नींव के साथ, भारत इंडो-पैसिफिक और उससे आगे समुद्री सुरक्षा के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार है।
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आईएनएस नीलगिरि : यह प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाए जा रहे सात फ्रिगेट में से पहला है, जिसमें महत्वपूर्ण स्टील्थ विशेषताएं हैं, जिससे यह दुश्मन के रडार से छिप सकता है।
आईएनएस सूरत : प्रोजेक्ट 15बी विध्वंसक का अंतिम पोत, सूरत उन्नत हथियार, उन्नत वायु रक्षा प्रणाली और अगली पीढ़ी की जीवित रहने की क्षमता का दावा करता है।
आईएनएस वाग्शीर : स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में से आखिरी वाग्शीर अत्याधुनिक सोनार सिस्टम, टॉरपीडो और एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन जैसे भविष्य के निर्माण के लिए एक मॉड्यूलर डिजाइन से सुसज्जित है।