नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केपी द्विवेदी ‘शास्त्री’ ने न्यूज24 को दिए इंटरव्यू में महंगाई के विषय पर अपने विचार रखे। डॉ. द्विवेदी कहा कि देश में इस समय अर्थव्यवस्था में हुई उथल-पुथल के कारण महंगाई चरम पर है। रसोई गैस से लेकर दाल, सब्जी, पेट्रोल, कपड़ा, मकान सभी कुछ महंगा है। महंगाई का असर सबसे अधिक समाज के निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग पर पड़ता है। महंगाई को रोकने में सरकार असफल से अधिक असहाय नजर आ रही है।
सरकार महंगाई रोकने में असफल
डॉ. द्विवेदी आगे कहते हैं, ‘सरकार महंगाई को रोकने में पूरी तरह असफल है। वैसे तो सम्पूर्ण विश्व ही इस समय महंगाई की मार झेल रहा है, लेकिन यदि सरकार वितरण व्यवस्था पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लें, तो महंगाई से जनता को कुछ तो राहत दी जा सकती है।’
अफसरशाही पर सवालिया निशान
डॉ. द्विवेदी का कहना है कि कुछ तो महंगाई है ही और कुछ अफसरशाही व लालची व्यापारियों ने महंगाई को बढ़ा रखा है। देखा जा रहा है कि होलसेल मार्केट और खुदरा बाजारों में चीजों के दामों में भारी अंतर है। खुदरा व्यापारी ने अपना लाभ बहुत अधिक बढ़ा लिया है। ऐसा अधिकतर खाने पीने की वस्तुओं में ही हो रहा है। उपभोक्ता तक आते आते 30 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक वस्तुएं महंगी हो जाती हैं। फलों में तो आप इससे अधिक का भी अंतर देख सकते हैं। इस प्रकार फर्जी रूप से महंगाई को बढ़ाया जा रहा है। यह तो हाल अनाज मंडी सब्जी मंडी व फल मंडी का है।
खुदरा व्यापार पर लगाम की जरूरत
इसके अतिरिक्त कोई भी क्षेत्र इस प्रकार के व्यापारियों से अछूता नहीं है। उपभोक्ता की सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में उपभोक्ताओं का शोषण खुलेआम हो रहा है। यदि सरकार इस प्रकार के खुदरा व्यापार पर लगाम लगाएं, तो महंगाई की मार झेल रहे उपभोक्ताओं को कुछ राहत अवश्य मिलेगी।