भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी कामयाबी मिली है। इंडोनेशिया ने आईएसआईएस से जुड़े 2 प्रमुख संदिग्ध आतंकियों को भारत को सौंपा है। महाराष्ट्र में सक्रिय आईएसआईएस के स्लीपर सेल से जुड़े इन दोनों आतंकियों को जकार्ता से मुंबई लाए जाने के साथ ही एनआईए ने एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया। ये दोनों आरोपी अब्दुल्ला फयाज शेख उर्फ डायपरवाला और तालहा लियाकत खान उर्फ ‘तल्हा’– 2023 के पुणे आईईडी ब्लास्ट मामले में वांछित थे। दोनों पर 3-3 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इन पर न सिर्फ आतंकी साजिश रचने, बल्कि भारत में कट्टरपंथी नेटवर्क फैलाने और आईईडी तैयार करने जैसे गंभीर आरोप हैं।
इंडोनेशिया ने भारत का साथ देकर निभाई दोस्ती
इस कार्रवाई को हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले से भी जोड़ा जा रहा है, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। यह हमला भारत के लिए एक बड़ा झटका था, जिसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशनों को और तेज कर दिया। इंडोनेशिया ने इस कार्रवाई के जरिए न केवल भारत के साथ अपनी दोस्ती को साबित किया है, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ अपने सख्त रुख को भी दिखाया है। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले देश ने इस कदम से यह साफ कर दिया है कि आतंक के खिलाफ उसकी नीति में कोई नरमी नहीं है।
दोनों आतंकियों को भारत को सौंपा गया
दोनों आतंकी इंडोनेशिया में छिपे हुए थे। सुरक्षा एजेंसियों को जैसे ही इनके बारे में पुख्ता जानकारी मिली, उन्होंने बिना देर किए इन्हें पकड़कर भारत को सौंप दिया। जनवरी में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष मेहमान के रूप में भाग लिया था। उन्होंने पाकिस्तान की प्रस्तावित यात्रा रद्द कर भारत को प्राथमिकता दी थी। यह फैसला दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और सहयोग की ओर इशारा करता है।
सुबियांतो ने की थी पहलगाम हमले की निंदा
सुबियांतो ने जकार्ता में भारतीय राजदूत से मुलाकात के दौरान पहलगाम हमले की निंदा कर कहा था कि यह हमला इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात में आतंकवाद के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई गई थी। इन दोनों आतंकियों की गिरफ्तारी भारत के लिए आईएसआईएस के नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एनआईए के अनुसार, ये संदिग्ध आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित होकर देश के भीतर आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे थे। अब इनकी गिरफ्तारी से आतंकी फंडिंग, भर्ती और डिजिटल कट्टरता के खिलाफ मजबूत सबूत और सुराग मिलने की उम्मीद है।
इंडोनेशिया का यह फैसला केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अब कोई देश अकेला नहीं है। सहयोग, साझा खुफिया जानकारी और ठोस कार्रवाई ही आतंकवाद के नेटवर्क को तोड़ने का रास्ता है। भारत और इंडोनेशिया का यह संयुक्त प्रयास आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंक के खिलाफ गठबंधन को और मजबूती देगा।
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