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Ahmedabad Plane Crash से भी घातक थे ये 3 विमान हादसे, एक में 349 यात्रियों की गई थी जान

Ahmedabad Plane Crash में 242 यात्रियों में से 204 की मौत की सूचना है। आज से 29 साल पहले भारत के चरखी दादरी में अहमदाबाद से भी खतरनाक हवाई हादसा हुआ था, जिसमें 349 यात्रियों की मौत हो गई थी। वहीं, 1978 में भी एअर इंडिया की एक फ्लाइट टेकऑफ करते ही अरब सागर में क्रैश हो गई, जिसमें सवार 213 यात्रियों की मौत हो गई थी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Vijay Updated: Jun 12, 2025 19:07
Ahmedabad Plane Crash
क्रैश हुआ प्लेन

Ahmedabad Plane Crash से पहले भी भारत में तीन ऐसे बड़े हवाई हादसे हुए हैं, जिनमें काफी जानमाल की क्षति हुई। 1978 में हुए हादसे में 213 क्रू मेंबर समेत यात्री, 1996 में हुए हादसे में 349 और 2010 में हुए हादसे में 158 यात्रियों की मौत हुई। हरियाणा के चरखी दादरी में 1996 को हुआ हवाई हादसा भारत में अब तक का सबसे बड़ा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मिड-एअर कोलिजन (दो विमानों की हवा में टक्कर) है। 12 नवंबर 1996 को हरियाणा के चरखी दादरी के पास दो विमानों की हवा में टक्कर में 349 यात्रियों की मौत हो गई थी।

चरखी दादरी में कैसे हुआ था हादसा?

हरियाणा के चरखी दादरी के पास 12 नवंबर 1996 को दिल्ली से धाहरण जा रही सऊदी अरेबियन एयरलाइंस फ्लाइट की श्यामकंद से दिल्ली आ रही कजाकिस्तान एयरलाइंस फ्लाइट से हवा में सीधी टक्कर हुई। हादसे में दोनों विमानों में सवार सभी 349 लोग मारे गए। यह भारत का सबसे घातक हवाई हादसा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मिड-एयर कोलिजन है। जांच में दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल की गलती सामने आई। दिल्ली ATC ने दोनों विमानों को एक ही हवाई गलियारे में गलत ऊंचाई पर उड़ान की अनुमति दी।

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349 यात्रियों की मौत के पीछे गलती किसकी?

कजाक विमान 15,000 फीट पर होना चाहिए था, लेकिन वह 14,100 फीट पर था। पायलट ने ATC के निर्देशों का पालन नहीं किया। कजाक विमान में पुराने उपकरण थे और दिल्ली ATC के पास सेकेंडरी रडार नहीं था, जिससे टक्कर से बचने की चेतावनी नहीं मिली। वहीं, सऊदी बोइंग 747 की तेज गति के कारण आसमान में भीषण टक्कर हुई। टक्कर के बाद दोनों विमान जमीन पर गिरे और ब्लास्ट हो गए। हादसे की जांच को लेकर भारत सरकार की ओर से गठित जस्टिस आर.सी. लाहोटी आयोग ने ATC की खामियों, खराब प्रशिक्षण और कजाक पायलट की गलती को जिम्मेदार ठहराया। यह हादसा आज भी भारत के सबसे दुखद हादसों में गिना जाता है।

1978 में एयर इंडिया के विमान में हादसा कैसे?

मुंबई से दुबई जा रही एयर इंडिया फ्लाइट 855 1 जनवरी 1978 को टेकऑफ के तुरंत बाद मुंबई के बांद्रा तट से 3 किमी दूर अरब सागर में क्रैश हो गई। हादसे में विमान में सवार 23 क्रू मेंबर समेत 213 लोगों की मौत हो गई। जांच में सामने आया कि कप्तान माधव राव ने रात में टेकऑफ के बाद विमान को गलत दिशा में मोड़ा। जांच में पाया गया कि पायलट ने एटिट्यूड डायरेक्टर इंडिकेटर (ADI) को गलत पढ़ा, जिससे विमान असंतुलित हो गया। इसके अलावा अंधेरा होने के कारण पायलट को क्षितिज का अंदाजा नहीं था, जिसने स्थिति को और खराब किया। टेकऑफ के 2 मिनट बाद विमान 35 डिग्री के कोण पर दाईं ओर झुका और 2,900 फीट से सागर में गिर गया।

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213 लोगों की मौत के पीछे गलती किसकी?

हादसे की जांच के लिए भारत सरकार की ओर से गठित जस्टिस एच.आर. खन्ना आयोग ने पायलट त्रुटि और संभावित उपकरण खराबी को जिम्मेदार ठहराया। हादसे ने पायलट प्रशिक्षण, कॉकपिट रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) और उपकरणों की जांच पर जोर दिया। बोइंग 747 के डिजाइन में ADI की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। हादसे ने एयर इंडिया की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया और कई परिवारों ने मुआवजे की मांग की।

2010 में एयर इंडिया के विमान में हादसा कैसे?

दुबई से मंगलौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट जा रही एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 22 मई 2010 को लैंडिंग के दौरान टेबलटॉप रनवे से फिसल गई और घाटी में गिरी और आग की लपटों से घिर गई। मंगलौर हादसे में 166 लोगों में से 158 लोगों की मौत हो गई। केवल 8 लोग जिंदा बचे। इस हादसे में भी कैप्टन ने फर्स्ट ऑफिसर की तीन बार की “गो-अराउंड” चेतावनी को नजरअंदाज किया। जांच में पता चला कि कप्तान उड़ान के दौरान सो रहे थे। मंगलौर का रनवे छोटा और चारों ओर घाटी से घिरा था, जिसने हादसे को और घातक बनाया। यह भारत के सबसे घातक हवाई हादसों में से एक था।

First published on: Jun 12, 2025 07:07 PM

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