ट्रेनें सिर्फ पटरियों पर दौड़ने वाली गाड़ियां नहीं हैं बल्कि करोड़ों लोगों की जिंदगी और सपनों से जुड़ी होती हैं। आज भारतीय रेलवे ने एक बड़ी सफलता हासिल की है जिस पर हर भारतीय को गर्व होगा। इस साल भारत ने 1,400 से ज्यादा इंजन बनाए हैं, जिससे अमेरिका और यूरोप को भी पीछे छोड़ दिया है। यह सिर्फ एक संख्या नहीं बल्कि “मेक इन इंडिया” की ताकत और आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता एक बड़ा कदम है। अब भारतीय रेलवे और भी तेज, सुरक्षित और आधुनिक हो रही है, जिससे यात्राएं ज्यादा आरामदायक और खास बन जाएंगी।
अमेरिका-यूरोप को पीछे छोड़ा
भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने इस साल लोकोमोटिव निर्माण में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि भारतीय रेलवे ने इस साल लगभग 1,400 लोकोमोटिव का प्रोडक्शन किया है, जो अमेरिका और यूरोप के कुल प्रोडक्शन से भी अधिक है। यह उपलब्धि भारतीय रेलवे के प्रोडक्शन यूनिट चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW), बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW) और पटियाला लोकोमोटिव वर्क्स (PLW) में हासिल की गई है। इस रिकॉर्ड तोड़ प्रोडक्शन से रेलवे की क्षमता और आत्मनिर्भरता में बढ़ोतरी हुई है।
A historic leap for India’s railway sector! India has overtaken the US & Europe in production, manufacturing 1,400+ locomotives. Thanks to the vision of PM @narendramodi Ji & Railways Minister @AshwiniVaishnaw Ji, we are now a global leader in railway exports. @RailMinIndia pic.twitter.com/RTlG8ET1e0
— NAVIN PAI RAIKAR (@NavinRaikar) March 19, 2025
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कोच और मालगाड़ियों के प्रोडक्शन में भी बड़ी वृद्धि
भारतीय रेलवे ने न केवल लोकोमोटिव बल्कि डिब्बों और मालगाड़ियों के निर्माण में भी बड़ी बढ़ोतरी की है। पहले हर साल सिर्फ 400-500 कोच बनाए जाते थे लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 5,000-5,500 हो गई है। पिछले 10 सालों में रेलवे ने 41,000 से ज्यादा नए LHB कोच बनाए हैं। साथ ही मालगाड़ियों के लिए 2 लाख से ज्यादा नए डिब्बों जोड़े गए हैं, जिससे सामान ढोने की सुविधा और तेज हो गई है। यह बदलाव रेलवे को और आधुनिक और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
रेलवे सुरक्षा पर बड़ा निवेश
भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के मामले में भी कई बड़े सुधार किए हैं। रेलवे मंत्री ने बताया कि पुराने ICF कोचों को जल्द ही नए और ज्यादा सुरक्षित LHB कोचों में बदला जाएगा, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और सफर का अनुभव बेहतर होगा। रेलवे ने सुरक्षा पर खर्च बढ़ाकर ₹1.16 लाख करोड़ कर दिया है और कई नई टेक्नोलॉजी अपनाई हैं। इनमें लंबी रेल पटरी (लॉन्ग रेल्स), इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल सिस्टम, कोहरे में चलने के लिए खास उपकरण और ‘कवच’ सुरक्षा प्रणाली शामिल हैं। इन उपायों की वजह से रेलवे में हादसों की संख्या काफी कम हो गई है।
रेलवे ट्रैक मेंटेनेंस में नई टेक्नोलॉजी
रेलवे ने ट्रैक की मरम्मत और देखभाल के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल शुरू किया है। अब रेल-कम-रोड वाहन (RCR वाहन) की मदद से पटरियों की मरम्मत करना और आसान हो गया है। पिछले कुछ सालों में 50,000 किलोमीटर ट्रैक को नया किया गया है। पहले वेल्डिंग की खराबी के 3,700 मामले होते थे जो अब सिर्फ 250 रह गए हैं। इसी तरह रेल फ्रैक्चर की संख्या 2,500 से घटकर 240 हो गई है। ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारतीय रेलवे तेजी से आधुनिक हो रहा है और देश के यातायात को ज्यादा सुरक्षित और बेहतर बना रहा है।