India Vs Bharat Row Kerala rejects recommendations Of NCERT committee : नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) पैनल की तरफ से पाठ्यपुस्तकों में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने के प्रस्ताव दिया है। इसके बाद से देश में फिर इंडिया बनाम भारत का मुद्दा गरम हो गया है। जल्द ही एनसीईआरटी किताबों से इंडिया शब्द बदलकर देश का नाम भारत कर दिया जाएगा। इस बीच केरल सरकार इस प्रस्ताव से पीछा छुड़ाने के लिए नया प्रस्ताव लेकर आई है। शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने संकेत दिया है कि राज्य में एनसीईआरटी की किताबें नहीं पढ़ाई जाएंगी। उसकी जगह एससीईआरटी की किताबों को स्वयं जारी करने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।
Kollam: Kerala Education Minister V Sivankutty says, "Kerala rejects the recommendations given by the NCERT committee for social sciences…Citizens have the right to use India or Bharat as mentioned in the Constitution…Kerala also rejects the move to twist historical facts.… pic.twitter.com/1QANRJOQjN
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) October 26, 2023
सिलेबस में हुआ बदलाव तो खुद की किताबों की जारी
यह पहला मौका नहीं जब केरल सरकार ने एनसीईआरटी से हटकर खुद से सिलेबस में बदलाव किया है। इससे पहले केरल ने अपने पाठ्यक्रम से एनसीईआरटी द्वारा हटाए गए मुगल इतिहास और गुजरात दंगों के हिस्सों को पढ़ाने के लिए पूरक पाठ्यपुस्तकें जारी की थीं। हालांकि केरल का एससीईआरटी एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम का पालन करता है। उस वक्त सीएम पिनाराई विजयन ने कहा था कि आप ऐतिहासिक तथ्यों को अस्वीकार नहीं कर सकते हैं, उन्हें किताबों से हटाना सही नहीं है।
एनसीईआरटी की सिफारिशों को किया खारिज
केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने एएनआई से बातचीत में कहा कि केरल सामाजिक विज्ञान के लिए एनसीईआरटी समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को खारिज करता है। नागरिकों को संविधान में उल्लिखित इंडिया या भारत का उपयोग करने का अधिकार है। केरल ऐतिहासिक तथ्य मोड़ने के कदम को भी खारिज करता है। इससे पहले जब एनसीईआरटी ने कुछ अंश हटाए थे तो केरल ने उन्हें अतिरिक्त पाठ्यपुस्तकों के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया था।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि यदि एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों के माध्यम से बच्चों को ऐसी चीजें सिखाने का इरादा रखता है जो असंवैधानिक, अवैज्ञानिक और वास्तविक इतिहास को विकृत करने वाली हैं, तो केरल अकादमिक रूप से बहस करके अपना बचाव करेगा। हम राज्य पाठ्यचर्या समिति को बुलाएंगे और शैक्षणिक हित को ध्यान में रखते हुए राज्य में वर्तमान में उपयोग की जाने वाली 44 पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने के कार्य पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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