पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत दुश्मन देश पाकिस्तान के साथ सभी रिश्ते खत्म कर रहा है। पहले 1960 से चल रही सिंधु जल संधि सस्पेंड कर दी। अटारी बॉर्डर, एयर स्पेस और समुद्री क्षेत्र पाकिस्तान के लिए बंद कर दिया और अब पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध भी तोड़ दिए। भारत के केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने नोटिफिकेशन जारी करके पाकिस्तान से व्यापार संबंध तोड़ दिए।
आदेशों के अनुसार, अब पाकिस्तान को भारत की तरफ से न कोई सामान भेजा जाएगा और न ही पाकिस्तान से कोई चीज मंगवाई जाएगी। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष या थर्ड पार्टी के जरिए होने वाले सभी तरह के आयात-निर्यात अगले आदेश तक प्रतिबंधित रहेंगे। हालांकि इस फैसले का दोनों देशों पर असर पड़ेगा, लेकिन भारत की सख्ती से पहले से ‘कंगाल’ पाकिस्तान और कंगाल हो सकता है। व्यापार बंद होने का असर पाकिस्तान पर अधिक गंभीर पड़ेगा, क्योंकि वह भारत से सस्ती और आवश्यक वस्तुओं के लिए निर्भर है। पढ़ें ये एक्सप्लेनर…
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भारत पाकिस्तान में क्या आयात-निर्यात होता है?
पाकिस्तान से भारत तरबूज, खरबूज, सीमेंट, सेंधा नमक, ड्राइ फ्रूट्स, पत्थर, चूना, कॉटन, स्टील, चश्मों के ऑप्टिकल्स, कार्बनिक केमिकल्स, मेटल कंपाउंड, चमड़े का सामान, फल, खजूर, तांबा, सल्फर, ऊनी कपड़े, कपड़ा, कुर्ते, चप्पल, मुल्तानी मिट्टी आदि मंगवाता है। वहीं भारत से पाकिस्तान कपास, फल, सब्जियां, चाय, मसाले, चीनी, तिलहन, पशु चारा, डेयरी उत्पाद, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स, नमक, मोटर पार्ट्स, रंग, कॉफी मंगवाता है।
कौन-कौन से देश भारत के समर्थन में आए?
पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने जो रुख अपनाया हुआ है और भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का जो फैसला लिया है। उसके समर्थन में रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, जर्मनी, ताइवान, जॉर्डन, इजरायल, मिस्त्र, फ्रांस, इटली, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान समेत कई देश है। इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने नप सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी से बात करके पहलगाम आतंकी हमले पर शोक जताया, बल्कि भारत को अपना समर्थन भी दिया। वहीं पाकिस्तान को चीन और तुर्की का समर्थन मिला है। चीन पाकिस्तान को हथियार और असलहा उपलब्ध करा सकता है।
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दोनों देशों पर क्या होगा असर?
14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों में कमी आई थी। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच आयात-निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है। भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा व्यापार बहुत ही थोड़ा है, लेकिन यह व्यापार बंद होने से भारत को ज्यादा नुकसान हो न हो, लेकिन पाकिस्तान जरूर आर्थिक रूप से और कमजोर हो जाएगा। व्यापार बंद होने से ज्यादा नुकसान पाकिस्तान के उन व्यापारियों को होगा, जो दुबई के जरिये अपना माल भारत भेजते हैं।
आंकड़े कहते हैं कि UAE के जरिये भारत और पाकिस्तान के बीच करीब 10 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा था, लेकिन अब यह व्यापार पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। भारत सरकार के पाकिस्तान के साथ व्यापार संबंध खत्म करने के फैसले का सीधा असर उन व्यापारिक सौदों पर पड़ेगा, जिनमें पाकिस्तान से वस्तुओं का आयात होता था या जहां पाकिस्तान किसी सप्लाई चेन का हिस्सा था, क्योंकि भारत सरकार ने साफ संदेश दिया है कि अगले आदेश तक फैसला लागू रहेगा। भारत सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के मामलों में कोई समझौता नहीं करेगा।
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पाकिस्तान पर प्रभाव
आयात बंद होने से खर्चा बढ़ेगा, क्योंकि भारत से मिलने वाली चीजें पाकिस्तान को चीन, तुर्की, श्रीलंका से मंगवानी पड़ेंगी, जहां से यह चीजें महंगी मिलेंगी और समय भी ज्यादा लगेगा। साल 2024 में भारत से पाकिस्तान का निर्यात 1.2 बिलियन डॉलर था, लेकिन अब व्यापार बंद होने से पहले से पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ेगा। पाकिस्तान को अब भारत से सस्ती दवाइयां और कच्चा माल नहीं मिलेगा। रोजमर्रा की घर में इस्तेमाल होने वाली चीजों की कमी होने से कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई बढ़ेगी, जिसका असर निम्न और मध्यम वर्ग पर पड़ेगा। दुबई, सिंगापुर के जरिए अप्रत्यक्ष व्यापार बंद होने से भी लागत बढ़ेगी। भारत के साथ व्यापारिक संबंध टूटने से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ेगा। पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को और नुकसान पहुंचेगा।
भारत पर प्रभाव
पाकिस्तान के साथ भारत कुल व्यापार का 0.06% से भी कम व्यापार करता है। साल 2024-25 में दोनों देशों के बीच 500 मिलियन डॉलर से कम व्यापार हुआ, इसलिए अब पाकिस्तान से व्यापारिक रिश्ते खत्म होने से अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। भारत को सेंधा नमक, सूखे मेवे और ऑप्टिकल लेंस नहीं मिलेंगे, जिससे इनकी कीमतें बढ़ सकती हैं, लेकिन भारत के पास इन चीजों को खरीदने के लिए विकल्प हैं। भारत सऊदी अरब, UAE और ईरान से इन्हें मंगवा सकता है। स्ट्रॉ रीपर और कॉटन यार्न का निर्यात बंद होने से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। फार्मा सेक्टर और मसाला उद्योग पर मामूली-सा असर पड़ेगा, क्योंकि पाकिस्तान इन दोनों सेक्टर के लिए इकलौता बाजार नहीं है। अटारी बॉर्डर बंद होने से भारत-अफगानिस्तान के बीच होने वाले व्यापार पर असर पड़ेगा, लेकिन वैकल्पिक रास्ते तलाशे जा रहे हैं।
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पुलवामा हमले के बाद क्या बदला?
14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से होने वाले व्यापार पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था। इससे भारत-पाकिस्तान के बीच ट्रेड कम हो गया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार में और कमी आ गई। अब अप्रैल 2025 में दोनों देशों के बीच व्यापा पूरी तरह बंद हो गया है। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों और क्षेत्रीय स्थिति में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए सीधा जिम्मेदार ठहराया। आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। जम्मू-कश्मीर में पनप रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ अभियान चलाए, जो आज तक जारी हैं। नेशनल हाईवे-44 पर सुरक्षाबलों के काफिले की सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे लगाए गए। नए ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल लागू किए गए। भारत ने पाकिस्तान का ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा खत्म कर दिया और भारत ने पाकिस्तान पर आयात शुल्क 200% तक बढ़ा दिया। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की।
पुलवामा हमले के बाद भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कई देश आए। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के प्रयास भारत ने किए और अब फंडिंग खत्म कराने की कोशिश है। पुलवामा हमले के बाद भारत सतर्क हुआ और जम्मू कश्मीर में आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की तो जैश-ए-मोहम्मद की रीढ़ टूटी और आतंकी नेटवर्क नष्ट होने से आतंकी हमले कम हुए। पुलवामा हमले ने भारत की आतंकवाद विरोधी नीति, सुरक्षा व्यवस्था, विदेश नीति को और सख्त किया। देश के राजनीतिक और सामाजिक माहौल को भी काफी हद तक प्रभावित किया।
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