भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ वार के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन विज्ञापनों पर लगाए गए 6 फीसदी इक्विलाइजेशन शुल्क जिसे ‘गूगल टैक्स’ भी कहा जाता है, को 1 अप्रैल से खत्म करने का प्रस्ताव दिया है। सरकार के इस फैसले से गूगल, मेटा और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन देने वाले बिजनेसमैन को बड़ी राहत मिलेगी। इसका उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में सुधार करना है।
‘ट्रंप टैरिफ’ लागू होने से पहले भारत का बड़ा कदम
यह कदम भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा और 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने से पहले उठाया गया है। जानकारों का मानना है कि यह कदम भारत के व्यापारिक रुख को लचीला दिखाने का प्रयास है और अमेरिकी विरोध को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि, गूगल टैक्स हटाने से भारत अमेरिका के टैरिफ वार से बच पाएगा या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है।
गूगल-मेटा के राजस्व में होगी वृद्धि
गूगल और मेटा जैसे प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन लागत कम करने से भारतीय व्यवसायों द्वारा डिजिटल विज्ञापन पर अधिक खर्च करने को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद परिणामस्वरूप इन प्लेटफॉर्म पर अधिक विज्ञापनदाता आकर्षित होंगे और उनके राजस्व में वृद्धि होगी। इस फैसले से भारत के डिजिटल क्षेत्र में और अधिक विदेशी निवेश आने की भी संभावना है। डिजिटल विज्ञापन को सस्ता बनाकर सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और विकास और इनोवेशन के अवसर प्रदान करने की उम्मीद कर रही है।
फाइनेंस बिल 2025 में संशोधन का हिस्सा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला फाइनेंस बिल 2025 में संशोधन का हिस्सा है। बता दें कि लोकसभा में फाइनेंस बिल 2025 पास हो चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संशोधित फाइनेंस बिल 2025 को पेश किया था, जिसे पास कर दिया गया है। इस संशोधनों मे ऑनलाइन विज्ञापन पर 6 फीसदी डिजिटल टैक्स या ‘गूगल टैक्स’ को खत्म करना शामिल है। इसके अलावा 34 अन्य संशोधन भी किए गए हैं। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा, अगर राज्यसभा से भी इस बिल को मंजूरी मिल जाती है तो यह विधेयक पूरा हो जाएगा।
सरकार को कितनी कमाई होती है?
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने राज्यसभा में 2021 में एक लिखित उत्तर में बताया था कि इक्वलाइजेशन लेवी के रूप में 2016-17 में 338.6 करोड़ रुपये, 2017-18 में 589.4 करोड़ रुपये और 2018-19 में 938.9 करोड़ रुपये जमा हुए थे। वहीं, 2019-20 में 1,136.5 करोड़ रुपये और 2020-21 में कुल आंकड़ा 2,058 करोड़ रुपये का था। 2021-22 में 3,900 करोड़ रुपये, 2022-23 में 3864 करोड़ रुपये, 2023-24 में 3533 करोड़ रुपये और 2024-25 (15 मार्च तक) में 3,342 करोड़ रुपये इस टैक्स के तहत सरकार को मिले हैं।