Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग को लेकर भारत के लिए अच्छी खबर आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का वार्मिंग में सिर्फ 5 प्रतिशत का योगदान है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने भारत की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से 5 प्रतिशत वार्मिंग में योगदान दिया है।Mवार्मिंग में भूमिका से गदगद यूएनईपी ने भारत का उदाहरण पेश किया है। उन्होंने भारत की भूमिका का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया में वर्तमान उत्सर्जन बेहद असमान रूप से वितरित किए जाते हैं।
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में सबसे अधिक रूस और अमेरिका का योगदान
उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति क्षेत्रीय ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन सभी देशों में काफी अलग-अलग होता है। ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में सबसे अधिक रूस और अमेरिका का योगदान है। 6.5 टन CO2 equivalent (tCO2e) के विश्व औसत के दोगुने से भी अधिक हैं। जबकि भारत में इसके आधे से भी कम हैं।
उपभोग आधारित उत्सर्जन में अधिक आय वाले जिम्मेदार
साथ ही उन्होंने कहा कि देशो के बीच उपभोग आधारित उत्सर्जन (Consumption Based Emissions) में भी असमानता पाई गई है। दुनिया में सबसे अधिक आय वाली 10 प्रतिशत आबादी लगभग आधे उत्सर्जन (48 प्रतिशत) के लिए जिम्मेदार है। इसके दो-तिहाई आबादी विकसित देशों में रहती है।
50 प्रतिशत आबादी ने कुल उत्सर्जन में केवल 12 प्रतिशत का योगदान
यूएनईपी की उत्सर्जन गैप रिपोर्ट 2023 के हवाले से पता चला है कि विश्व की निचली 50 प्रतिशत आबादी ने कुल उत्सर्जन में केवल 12 प्रतिशत का योगदान दिया है। यूएनईपी ने कहा कि ऐतिहासिक उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग में योगदान समान रूप से देशों के बीच काफी अलग होता है। यूएनईपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लगभग 80 प्रतिशत ऐतिहासिक संचयी जीवाश्म (historical cumulative fossil) और भूमि उपयोग CO2 उत्सर्जन G20 देशों से आया है। जिसमें चीन और अमेरिका का सबसे बड़ा योगदान है।
अमेरिका का ग्लोबल वार्मिंग में 17 प्रतिशत योगदान
मौजूदा स्थिति में विश्व जनसंख्या में अमेरिका की हिस्सेदारी 4 प्रतिशत है। लेकिन अमेरिका ने 1850 से 2021 तक ग्लोबल वार्मिंग में योगदान 17 प्रतिशत था। जिसमें मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन का प्रभाव भी शामिल है। वहीं, भारत में दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग में इसका योगदान सिर्फ 5 प्रतिशत है।