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सत्यजीत रे के पूर्वजों का नहीं है का वो घर… बांग्लादेश विदेश मंत्रालय ने किया बड़ा खुलासा

Filmmaker Satyajit Ray's House: बांग्लादेश में भारतीय फिल्म निर्माता सत्यजीत रे का जो घर चर्चा में है। उस पर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बड़ा खुलासा किया है। बताया कि उस घर से सत्यजीत रे और उनके पुरखों का कोई संबंध नहीं है। वह सरकार की जमीन है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Jul 17, 2025 15:52

Filmmaker Satyajit Ray’s House: कुछ समय पहले दावा किया गया था कि बांग्लादेश के मैमनसिंह में जो घर ध्वस्त किया जा रहा है वह प्रसिद्ध भारतीय फिल्म डायरेक्टर, लेखक सत्यजीत रे के पूर्वजों का है। मामला जब इंटरनेट पर तेजी से वायरल हुआ तो भारत सरकार और पं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बांग्लादेश सरकार से घर को संरक्षित करने की अपील की। इस पर अमल करते हुए वहां की सरकार ने घर को ध्वस्त करवाना रुकवा दिया और इस ऐतिहासिक संपत्ति के पुनर्निर्माण के लिए एक समिति भी बनाई गई। लेकिन अब जांच के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बड़ा खुलासा किया है।

मंत्रालय ने बताया कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सत्यजीत रे की मैमनसिंह स्थित पैतृक संपत्ति, जो मूल रूप से उनके दादा, प्रतिष्ठित साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी की थी। सरकार उसे गिरा रही है। कागजों की जांच में पता चला है कि उस घर का प्रख्यात पुरस्कार विजेता सत्यजीत रे के पूर्वजों से कभी कोई संबंध नहीं था। वह सरकारी जमीन है, उस पर जिला शिशु अकादमी का कार्यालय है।

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कब से सरकार के पास है वह जमीन

विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह स्थानीय ज़मींदार शशिकांत आचार्य चौधरी की थी। उन्होंने इस घर को अपने कर्मचारियों के लिए अपने बंगले “शशि लॉज” के बगल में बनवाया था। ज़मींदारी प्रथा खत्म होने के बाद यह घर और जमीन सरकार के नियंत्रण में आ गई। बाद में सरकार ने इसे बांग्लादेश ‘शिशु अकादमी’ को पट्टे पर दे दिया। तब से वहां जिला शिशु अकादमी का कार्यालय है। मंत्रालय ने बताया कि इस बात की पुष्टि स्थानीय वरिष्ठ नागरिकों और विभिन्न समुदायों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भी की है।

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हां, सड़क से जरूर है संबंध

मंत्रालय ने बताया कि मैमनसिंह में जिस घर की चर्चा हो रही है। उसके सामने वाली सड़क का नाम “हरिकिशोर रे रोड” है। यह नाम सत्यजीत रे के परदादा हरिकिशोर रे के नाम पर रखा गया था। हरिकिशोर सत्यजीत रे के दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी के दत्तक माता-पिता थे। आगे बताया कि रे परिवार का हरिकिशोर रे रोड पर एक घर था, जिसे उन्होंने बहुत पहले बेच दिया था और अब वह मौजूद नहीं है। नए मालिक ने वहां एक बहुमंजिला इमारत बनवाई है।

जर्जर इमारत की वजह से हो रहा ध्वस्त

मंत्रालय ने बताया कि जिस इमारत को अब ध्वस्त किया जा रहा है, वह जर्जर, जोखिम भरी और अनुपयोगी थी। साल 2014 से अकादमी मयमन सिंह शहर में कहीं और किराए के मकान में स्थानांतरित हो गई थी। यह घर असामाजिक तत्वों की गैरकानूनी गतिविधियों का अड्डा बन गया था। बांग्लादेश शिशु अकादमी ने जिला अधिकारियों को नीलामी के माध्यम से पुरानी, जीर्ण-शीर्ण इमारत को हटाने की अनुमति दे दी।

डिप्टी कमिश्नर ने चर्चा में दी जानकारी

बुधवार को मैमनसिंह के डिप्टी कमिश्नर ने एक चर्चा आयोजित की जिसमें वरिष्ठ नागरिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक हस्ती, पत्रकार और समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्यों ने भाग लिया। इस दौरान प्रख्यात लेखक कंगाल शाहीन ने विस्तार से बताया कि जीर्ण-शीर्ण भवन का हरि किशोर रे या सत्यजीत रे का नहीं है। प्रो बिमल कांति डे ने रे परिवार से संबंधित घर के बारे में गलत धारणा के बारे में भी जानकारी दी। लेखक फ़रीद अहमद दुलाल ने भी पुष्टि की कि घर का सत्यजीत रे या उनके परिवार से कोई संबंध नहीं है।

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First published on: Jul 17, 2025 03:45 PM

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