Goa Illegal Mining: गोवा के पर्यटन मंत्री रोहन खाउंटे को बेंगलुरू की एक कोर्ट ने अवैध लौह अयस्क खनन और परिवहन से जुड़े एक मामले में बरी करने के आदेश जारी किए हैं। इस फैसले से एक हाई-प्रोफाइल मामले का समापन हो गया है, जिसका कई साल से ट्रायल चल रहा था। बता दें कि यह मामला 2010 के दशक की शुरुआत का है। गोवा में बड़े पैमाने पर अवैध खनन की गतिविधियों के आरोप लगे थे। 2012 में इस मामले की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमबी शाह के नेतृत्व में शुरू हुई थी। जांच में बताया गया था कि गोवा में सभी 90 लौह अयस्क खदानें अवैध रूप से संचालित की जा रही थीं। इन खदानों के लिए पर्यावरण विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।
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जांच में अनुमान लगाया गया था कि अवैध खनन से राज्य को पांच वर्षों में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (5228 करोड़ रुपये) से अधिक का नुकसान हुआ। मामले के संबंध में अधिकारियों ने सितंबर 2012 से सभी खदानों का संचालन रद्द करने के आदेश दिए थे। 2015 में गोवा सरकार ने सभी 88 पट्टों का नवीनीकरण किया था, इन आदेशों को कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला
आरोप लगे थे कि इन सभी मामलों में मनमानी की गई और जरूरी नीलामी प्रक्रियाओं की अनदेखी की गई। इसके बाद फरवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी नवीनीकरण रद्द कर दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नए पट्टों की नीलामी करने की जरूरत है। बता दें कि खाउंटे के पास पर्यटन मंत्री बनाए जाने से पहले खान और भूविज्ञान विभाग का प्रभार था। उनके ऊपर अपने कार्यकाल के दौरान अवैध खनन कार्यों को बढ़ावा देने और लौह अयस्क के लिए अनाधिकृत परिवहन की अनुमति देने जैसे गंभीर आरोप लगे थे।
बचाव पक्ष ने नकारे थे आरोप
अभियोजन पक्ष ने कहा था कि जान-बूझकर नियमों की अनदेखी की गई। इससे गोवा के राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचा। यही नहीं, पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया गया। इस मामले के संदर्भ में बेंगलुरु के कोर्ट में कई महीने तक आरोप तय करने की प्रक्रिया चली थी। बचाव पक्ष ने कहा था कि खाउंटे ने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया था। उनके खिलाफ लगाए गए तमाम आरोप राजनीति से प्रेरित थे। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष खाउंटे को अवैध गतिविधियों से सीधे जोड़ने वाले निर्णायक सबूत पेश करने में विफल रहा। ऐसे में उनको बरी किया जाता है।
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