Alaska Earthquake Inside Story: अलास्का प्रायद्वीप में आज 7.3 की तीव्रता वाला शक्तिशाली भूकंप आया। सैंड पॉइंट द्वीप पर आया भूकंप काफी शक्तिशाली भूकंप था, क्योंकि इस भूकंप से समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठीं और नेशनल सुनामी वॉर्निंग सेंटर ने दक्षिणी अलास्का और अलास्का प्रायद्वीप के लिए सुनामी आने की चेतावनी जारी कर दी। हालांकि करीब एक घंटे बाद चेतावनी को अलर्ट में बदल दिया गया, लेकिन भूकंप वैज्ञानिकों का मानना है कि 7 से 7.9 के तीव्रता के बीच वाला भूकंप विनाशकारी साबित हो सकता है।
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तबाही मचा सकता है इतनी तीव्रता वाला भूकंप
CBS न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप गंभीर नुकसान पहुंचाने और तबाही मचाने की क्षमता रखता है, लेकिन भूकंप से होने वाला नुकसान भूकंप के केंद्र, गहराई, प्रभावित क्षेत्र की आबादी और सुनामी के खतरे जैसी आपदाओं पर निर्भर करेगा। वहीं 7.3 की तीव्रता का भूकंप इमारतों, बुनियादी ढांचे और पर्यावरण को हानि पहुंचा सकता है। अलास्का में आए भूकंप का केंद्र 12 मील (लगभग 15 किलोमीटर) की गहराई में था और उथली गहराई में आए भूकंप ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं, क्योंकि उथली गहराई से तरंगें धरती तक जल्दी पहुंच जाती हैं।
प्रभावित क्षेत्र कौन-से और क्या पड़ा प्रभाव?
अलास्का में आए भूकंप का केंद्र सैंड पॉइंट से 54 मील (89 किलोमीटर) दूर दक्षिण में समुद्र के अंदर उथली गहराई में था। सैंड पॉइंट अलास्का प्रायद्वीप के पास कम आबादी वाला इलाका है। भूकंप से कोडिएक और किंग कोव, अनलास्का जैसे इलाके प्रभावित हुए, लेकिन यह इलाके घनी आबादी वाले नहीं हैं, इसलिए मानवीय नुकसान होने की संभावना कम थी। भूकंप कंपन होमर और सीवार्ड शहरों में भी महसूस हुआ, लेकिन एंकोरेज जैसे बड़े शहरों पर भूकंप पता भी नहीं चला।
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हालांकि भूकंप से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सैंड पॉइंट में दुकानों में शेल्फ से सामान गिरने और बोतलें टूटने की खबरें आईं। भूकंप के बाद अगले 3 घंटे में 40 आफ्टरशॉक्स रिकॉर्ड हुए। सबसे बड़े आफ्टरशॉक की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.2 रही। अगले कुछ दिन में और ज्यादा आफ्टरशॉक्स की संभावना है, जिसमें 6 या उससे ज्यादा की तीव्रता वाला भूकंप भी आ सकता है।
अलास्का में इतना शक्तिशाली भूकंप क्यों आया?
डीप-ओशन असेसमेंट एंड रिपोर्टिंग ऑफ सुनामी (DART) के डेटा के अनुसार, अलास्का प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर पर बसा है और अलास्का के नीचे अलास्का अलेउतियन सबडक्शन सिस्टम है, जो भूकंप के मद्देनजर दुनिया के सबसे संवेदनशील इलाकों में से एक है। इस इलाके में 130 से ज्यादा ज्वालामुखी और अमेरिका के 3 चौथाई ज्वालामुखी हैं।
वर्ष 1964 में इसी सिस्टम में एक्टिविटी होने से नॉर्थ अमेरिका का सबसे बड़ा 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप आया था। साल 2020 के बाद से इस क्षेत्र में 7 या उससे ज्यादा तीव्रता के 5 भूकंप आ चुके हैं। ऐसे में यह सिस्टम भूकंप और सुनामी के लिए संवेदनशील है, लेकिन आबादी कम होने के कारण जान माल का नुकसान कम होता है।
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भारत में इतनी तीव्रता वाले भूकंप से क्या होगा?
राष्ट्रीय भूकंप आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कई शहर 2 से 5 तक के भूकंपीय जोन में आते हैं। जोन 5 में हिमालयी एरिया आता है, जो भूकंप के मद्देनजर काफी संवेदनशील है, क्योंकि इसके नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। अगर भारत में 7 से ज्यादा की तीव्रता वाला भूकंप आया तो घनी आबादी वाले शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद आदि में तबाही मच सकती है। क्योंकि इतने शक्तिशाली भूकंप ने इमारतें ढह जाएंगी। गांवों में कच्चे मकान ढह सकते हैं।
घरों की दीवारों में दरारें आने से उनके गिरने का खतरा पैदा हो सकता है। घनी आबादी वाले शहरों में इमारतें ढहने से लोगों की जान जा सकती है। अगर भूकंप रात में आता है तो मानवीय नुकसान ज्यादा उठाना पड़ सकता है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में भूस्खलन हो सकता है। बांध टूट सकते हैं। सड़कें, पुल, रेलवे और बिजली आपूर्ति ठप हो सकती है। कम्युनिकेशन नेटवर्क प्रभावित हो सकते हैं।
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साल 2001 में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता वाला भूकंप आया था। 20000 लोगों की जान गई थी। 27 अरब रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ था। 1.7 लाख लोग घायल हुए थे। साल 2005 में कश्मीर में 7.6 तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें भारत और पाकिस्तान में 80000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।