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Criminal Laws: आपराधिक कानूनों के हिंदी नामों पर अड़ी सरकार

Criminal Laws: केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने तीन आपराधिक विधेयकों के हिंदी शीर्षकों के खिलाफ द्रमुक के एनआर एलंगो, दयानिधि मारन और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सहित कुछ विपक्षी सांसदों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को लेकर शुक्रवार को एक बैठक को संबोधित किया। सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 348 का हवाला देते हुए कहा […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Aug 26, 2023 11:27
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Criminal Laws
Amit Shah

Criminal Laws: केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने तीन आपराधिक विधेयकों के हिंदी शीर्षकों के खिलाफ द्रमुक के एनआर एलंगो, दयानिधि मारन और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह सहित कुछ विपक्षी सांसदों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को लेकर शुक्रवार को एक बैठक को संबोधित किया। सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 348 का हवाला देते हुए कहा कि संसद द्वारा पारित सभी कानून के नामों के लिए अंग्रेजी का उपयोग अनिवार्य है।

बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त संसद में देश में आपराधिक कानून के भविष्य के परिदृश्य को नया रूप देने के उद्देश्य से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ब्रिटिश काल के आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए 11 अगस्त को संसद में तीन विधेयक पेश किए थे, उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा बदलाव होगा।

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ये होंगे बड़े बदलाव

प्रस्तावित कानूनों में आतंकवाद, महिलाओं के खिलाफ अपराध, मॉब लिंचिंग और राज्य के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव के अलावा जांच के तरीके में बदलाव और समयबद्ध जांच और सुनवाई का प्रावधान शामिल है।

संविधान के किसी प्रावधान का नहीं किया गया उल्लंघन

संसदीय समिति की बैठक को संबोधित करते हुए गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि तीनों अपराधिक कानूनों में हिंदी या संस्कृत नामों का उपयोग सही तरीके से किया गया है। उन्होंने कहा कि कोई संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया गया है। क्योंकि विधेयक और उनके नियम अंग्रेजी में ही लिखे गए हैं। उन्होंने पैनल के सदस्यों से कहा कि अनुच्छेद 348 सभी विधेयकों, अधिनियमों और अध्यादेशों के आधिकारिक पाठों में अंग्रेजी भाषा के उपयोग का प्रावधान करता है, इसलिए यदि विधेयक अंग्रेजी में लिखे गए तो कोई उल्लंघन नहीं होगा।

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द्रमुक सांसदों ने हिंदी नाम पर जताई आपत्ति

उल्लेखनीय है कि द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने एक दिन पहले पैनल के अध्यक्ष बृज लाल को पत्र भेजकर विधेयकों के हिंदी शीर्षकों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि ये देश की एकात्मक प्रकृति का उल्लंघन करते हैं जहां नागरिक हिंदी के अलावा विभिन्न भाषाएं बोलते हैं। वहीं एनआर एलंगो ने कहा कि क्या तीनों आपराधिक कानून का नाम तमिल या किसी अन्य भाषा के नाम पर भी रखा जा सकता है। बता दें कि भल्ला शनिवार को संसदीय समिति की बैठक में शामिल होंगे।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Aug 26, 2023 11:27 AM

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