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खेलों का भविष्य अब रिटायर चुनाव आयुक्त और ‘सुप्रीम’ जजों के हाथ में! क्या कहता है नया खेल बिल?

National Sports Governance Bill: केंद्र सरकार ने नया खेल बिल नेशनल स्पोटर्स गर्वनेंस बिल पेश किया है। इस बिल के कानून बनने के बाद खेलों में सरकार के अलाव चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट के जजों का भी भूमिका शामिल हो जाएगी। क्या रहेंगे इनके काम, क्या पड़ेगा असर, पढ़िए पूरी रिपोर्ट। 

Author Written By: Raghav Tiwari Author Edited By : Raghav Tiwari Updated: Jul 25, 2025 10:05
क्रेडिट- BeFunky

National Sports Governance Bill: केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने 22 जुलाई को लोकसभा में राष्ट्रीय खेल प्रशासन बिल पेश किया गया। बिल के कानून बनते ही भारतीय खेलों में सीधे रूप से रिटायर चुनाव आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज या इसी पद से रिटायर जजों की एंट्री हो जाएगी। वैसे तो इस बिल में कई अहम बिंदु दिए गए हैं जो खेलों को दुनिया को बदलने वाले हैं। लेकिन दो बिंदु बेहद अहम हैं, राष्ट्रीय खेल बोर्ड और राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकण (ट्रिब्यूनल)। इन्हीं के माध्यम से रिटायर चुनाव आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट के जज खेल के भविष्य बनाने में भूमिका निभाएंगे।

रिटायर चुनाव आयुक्त की भूमिका

राष्ट्रीय खेल बोर्ड की सिफारिश पर केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल अधिसूचित कर सकता है। जरुरत के हिसाब से इस पैनल में रिटायर मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्त, उप चुनाव आयुक्त, रिटायर राज्य चुनाव आयुक्त या राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शामिल किए जाएंगे। इसमें वही अधिकारी शामिल होंगे जिन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव कराने का पर्याप्त अनुभव हो। यह पैनल का काम राष्ट्रीय खेल संस्थाओं की कार्यकारी समितियों और एथलीट समिति के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों कराना रहेगा।

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ये रहेगी जजों की भूमिका

राष्ट्रीय खेल प्रशासन बिल में राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकण (ट्रिब्यूनल) का भी जिक्र है। यह ट्रिब्यूनल खेल-संबंधी विवादों का स्वतंत्र, त्वरित, प्रभावी और लागत-कुशल समाधान देगा। इसमें एक अध्यक्ष और 2 सदस्य होंगे। अध्यक्ष पद पर सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज या इसी पद से रिटायर जज होंगे। वहीं सदस्य वह होंगे जो सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित होंगे, जिन्हें खेल, लोक प्रशासन और कानून में व्यापक ज्ञान और अनुभव होगा।

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कैसे होगा ट्रिब्यूनल का गठन?

केंद्र सरकार एक खोज-सह-चयन समिति बनाएगी। इसकी सिफारिशों पर ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। इस समिति का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के चीफ जज या इनके जज द्वारा अनुशंसित सुप्रीम कोर्ट का कोई जज होगा। इसके अलावा समिति में विधि और न्याय मंत्रालय के सचिव, खेल विभाग के सचिव शामिल होंगे।

ट्रिब्यूनल से इन लोगों को हटा सकेगी केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ट्रिब्यूनल के ऐसे किसी अध्यक्ष या सदस्य को पद से हटा सकती है, जिसे दिवालिया या अपराधी घोषित किया गया हो। इसके अलावा अगर कोई पदाधिकारी केंद्र सरकार की राय में नैतिक पतित हो, शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर हो, वित्तीय या अन्य फायदे उठाएं हों, पद का दुरुपयोग करने पर भी केंद्र सरकार ट्रिब्यूनल से पदाधिकारी को हटा सकती है।

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First published on: Jul 25, 2025 09:58 AM

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