Manipur Violence: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़की, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक,बिष्णुपुर जिले में शुक्रवार देर रात हिंसा की ताजा घटना सामने आई। तीनों मृतक कथित तौर पर क्वाक्टा इलाके के रहने वाले थे और वे मैतेई समुदाय से हैं।
हिंसा की ताज़ा घटनाओं में कुकी समुदाय के लोगों के कुछ घरों में आग लगाने की भी सूचना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा इलाके में कुकी समुदाय और सुरक्षा बलों के बीच कुछ-कुछ देर में गोलीबारी की खबर है। मणिपुर पुलिस और कमांडो दंगाईयों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं।
बिष्णुपुर पुलिस ने पुष्टि की है कि मैतेई समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी गई है, जबकि कुकी समुदाय के कई घरों में आग लगाई गई है।
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मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, मैतेई समुदाय के 3 लोगों की मौत
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— News24 (@news24tvchannel) August 5, 2023
बफर जोन पार कर वारदात को दिया अंजाम
पुलिस सूत्रों ने बताया कि कुछ लोग बफर जोन पार कर मैतेई इलाके में आये और उन पर गोलीबारी की। बता दें कि केंद्रीय बलों की ओर से संरक्षित बफर जोन बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा क्षेत्र से 2 किमी से अधिक आगे बनाया गया है। इससे पहले गुरुवार को मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में सशस्त्र बलों और मैतेई समुदाय के प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी। घटना में 17 लोग घायल हो गए थे।
घटना ने इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के अधिकारियों को पहले घोषित कर्फ्यू में ढील वापस लेने के लिए प्रेरित किया। अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर दिन के दौरान प्रतिबंध लगाया। सशस्त्र बलों और मणिपुर पुलिस ने जिले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाकों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
At least three people died in fresh violence in Manipur's Bishnupur district late last night
(Visual from the area) pic.twitter.com/SlIDk1En2K
— ANI (@ANI) August 5, 2023
मैतेई महिलाएं बैरिकेड को पार करने की कोशिश कर रही थीं
विवरण के अनुसार, यह घटना तब हुई जब मैतेई महिलाएं जिले में एक बैरिकेड क्षेत्र को पार करने का प्रयास कर रही थीं। उन्हें असम राइफल्स और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) ने रोक दिया, जिससे समुदाय और सशस्त्र बलों के बीच पथराव और झड़पें हुईं।
मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी है हिंसा
लगभग तीन महीने पहले पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, तब से अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं, जबकि सैंकड़ों लोग विस्थापित भी हुए हैं। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी।
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